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उपवास

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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“माँ एक बात बताओ, तुम रोज़-रोज़ मंदिर जाती हो और खूब उपवास भी रखती हो। इस तरह के धर्म-कर्म के कार्य से कैसा अनुभव होता है ?” सुरेन ने माँ से पूछा।
“बेटा, धर्म-कर्म तो सदा मनुष्य को सुख, शांति, समृद्धि, धैर्य, आत्मिक शक्ति आदि प्रदान करता है और कुछ नहीं तो समय ही व्यतीत हो जाता है।” हाथ की माला का मनका फेरते हुए माँ ने कहा।
“क्या मंदिर आने वाले सभी को ऐसा ही अनुभव होता है ?” सुरेन ने अपनी आकुलता व्यक्त करते हुए पूछा।
हाथ का मनका स्थिर कर माँ ने कहा,-“नहीं बेटा। यह सब भावनाओं पर निर्भर करता है। कुछ लोग खूब पूजा-पाठ करते हैं, उपवास रखते हैं, लेकिन मंदिर से निकलने से पूर्व ही बेटे-बहू, समाज आदि की निंदा शुरू कर देते हैं। यहाँ का सीखा ज्ञान मंदिर के द्वार तक भी वहन नहीं कर पाते हैं।”
” लेकिन सुरेन तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो ?” माँ ने पूछा।
“वो पड़ोस वाली अम्मा बोल रही थी कि, उन्होंने घर की सुख-शांति के लिए मन्नत माँगी है कि पूरा दिन अन्न का दाना ग्रहण नहीं करेंगी।मतलब उनका उपवास है, और अभी थोड़ी देर पहले ही अम्मा की अपने बहू-बेटे से खूब तू-तू-मैं-मैं हो रही थी। बस इसलिए…!”
“बेटा उपवास अन्न का ही क्यों हो, बल्कि कटु वाणी और अभद्र व्यवहार को त्यागने का भी हो सकता है फिर मन्नत ही क्यों…!”

परिचय-डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैL जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैL श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैL महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी-एच.डी. की उपाधि ली है। आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैL रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा ‘हिंदी के श्रेष्ठ बाल नाटक’ पुस्तक का प्रकाशन तथा आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंL हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंL आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!` ,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैL यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस,विश्व महिला दिवस पर’ सावित्री बाई फूले’ बोधी ट्री एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैL