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उपासना

राधा गोयल
नई दिल्ली
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करती हूँ तेरी उपासना, सुन लो करुण पुकार,
एक माता तुझ जगदम्बा से, करती आज गुहार।

नवरात्रों में जगह-जगह होता तेरा आराधन,
बड़े-बड़े पंडाल लगा, माँ होता तेरा पूजन।

मैं भी तो एक माँ हूँ, तिरस्कार क्यों मेरा होता ?
वृद्धावस्था में दुर्वस्था, देख- देख दिल रोता।

जग को समझाओ कि, पहले हर नारी को पूजो,
सर्वप्रथम माता को गुरु- भगवान मान कर पूजो।

सभी नारियाँ देवी स्वरूपा, जग को यह समझाओ,
मातृशक्ति को इज्जत देकर जीवन सफल बनाओ।

जिस दिन ऐसा होगा, होगी ‘उपासना स्वीकार,
जो नारी को इज्जत न दे, उस नर को धिक्कार।

हम जैसी बूढ़ी माँओं को इतनी आस दिलाओ,
सभी नारियाँ शक्ति स्वरूपा, जग को यह समझाओ।

जब संकट आया देवों पर, देवियों ने ही उद्धार किया,
दुष्ट दलन करके, धरती को दुष्टों से भयमुक्त किया।

नर से कहो कि,-‘सभी नारियों को देवी सम मानो और सम्मान करो।
जगजननी के आराधन संग, मातृशक्ति का मान करो।

तभी तुम्हारी आराधना, होगी मुझको स्वीकार।
जन्मदात्री की सेवा से, होगा जग का उपकार॥