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ओ मेरे कृष्ण मुरारी…

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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नैन मिला के तुम संग हारी,
ओ मेरे कृष्ण मुरारी…
ओ मेरे कृष्ण,
अब तो नैन थके बनवारी,
बृज की सारी यादें बिसारीl
अब तो…ll

रोग लगा तुमसे कन्हाई,
सुख-चैन मैंने गंवाई…
टूट रही आशा पल-पल,
बस सुधी ले लो एक बार हमारी…
श्यामा रे…l
अब तो नैन…ll

जो ना समझो तुम मोरी पीड़ा,
कौन हरे पीड़ा मोरी सारी…
तुम अन्तर्यामी हो हे प्रभु,
सुख-दुःख झेलूं मुरलीधर
बस सुधी ले लो एक बार…
विनय करत है पूनम तुमसे,
गोवर्धन गिरधारी…l
श्यामा रे…,
अब तो नैन…ll

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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