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काश! वो बचपन वापिस आ जाए

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष…..

गरिमामय,प्रभावशाली,अति शानदार व्यक्तित्व के धनी मेरे पिता राम प्रकाश भल्ला-समाजसेवी, स्पष्टवादी,स्वावलम्बी,अथक परिश्रमी,सत्यवादी, निर्भीक,अनुशासन प्रिय,शालीन,दार्शनिक,विनम्रता, परोपकार आदि गुणों से सदैव सभी के प्रिय रहे।छोटा हो या बड़ा,निर्धन हो या धनवान,सभी से समभाव स्नेह करते व सम्मान करते थे। पिता जी, किशोरावस्था से ही कुशल व प्रभावशाली वक्ता रहे। अपनी बात को निर्भीकता से कहना उनका सिद्धांत था।
उनकी ख्याति का कारण मात्र उनका ज्ञान ही नहीं,अपितु सदाचार भी था। भारतीय संस्कृति व सिद्धांतों से उनका गहरा लगाव था। उनका हिन्दी, उर्दू,अंग्रेजी व पंजाबी भाषा पर विशेष अधिकार था व बांग्ला भाषा बोल-समझ लेते थे।
परिश्रम उनका मूल मन्त्र रहा। अपना सम्पूर्ण जीवन निर्बल,असहाय,गरीब वर्ग की मदद करने में लगाकर सफल किया ।सामाजिक व्यवस्था के प्रति सजग दृष्टि रखते थे। सामाजिक,राजनीतिक, सांस्कृतिक सहित विद्यालयों के विकास सम्बंधित कार्यों व शैक्षिक कार्यों के लिए सहर्ष अपना योगदान देते थे। शहर के उच्च अधिकारी,सम्मानित चिकित्सक,उज्जवल छवि के प्रशासनिक अधिकारियों से भी उनकी मित्रता होती। हिन्दू- मुस्लिम में भेदभाव न रखने की भावना प्रबल थी, प्रतिवर्ष ईद के अवसर पर सुबह ही तैयार होकर ईद मिलन के लिए निकल जाते और सिंवई से मुँह मीठा करते।
पिताजी ने उच्च शिक्षा,उत्कृष्टतम संस्कारों से परिष्कृत व परिमार्जित कर हम सभी भाई-बहनों को व्यावहारिक,स्वावलम्बी व सक्षम बनाया। हम अपने मम्मी-पापा के असीम स्नेह व वात्सल्य से पल्लवित पुष्पित होते हुए कब बड़े हो गए,आभास तक न हुआ। प्रत्येक दिन हमारे लिए किसी त्यौहार से कम न होता,हर पल खुशियों संग बीता।
पापा वक्त के सदैव पाबन्द रहे। प्रत्येक कार्य को नियत समय पर पूर्ण करते। सुबह ४ बजे उठकर हम भाई-बहन को आवाज देते,-उठो,चार बज गए,मुँह धोकर पढ़ने बैठो। मुझे आवाज़ देते- …. पुन्नो पुत्तर चाय अपनी भी बना लो और मेरी भी बनाना। उसके बाद स्वयं भी जगे ही रहते। धीमी आवाज में ट्रांजिस्टर पर देश-विदेश की खबरें व गीत सुनते-सुनते दैनिक कार्य निपटाते। पौधों को पानी से सींचते,नहा कर पूजा-नाश्ता करके ठीक ८ बजे अपने काम पर निकल जाते।
आप हमारे पिता के साथ-साथ हमारे आदर्श, शिक्षक,प्रेरक व मार्गदर्शक बने रहे। समाचार-
पत्र के समस्त समाचार,खुशवंत सिंह व कुलदीप नैयर के लेख पढ़ कर पापा को सुनाते-सुनाते मेरी साहित्य व राजनीतिक विषय के प्रति रूचि कब स्वतः ही विकसित हो गई,इसका मुझे अंदाजा न हुआ। उनकी कुशाग्र बुद्धि व स्मरण शक्ति के समक्ष हम नतमस्तक रहे। बेटे और बेटियों की परवरिश बिना किसी भेदभाव के समान रूप से की। जिस घर में बचपन बिताकर हम बड़े हुए,उस गली का नाम पापा के नाम पर उनके समय से ही ‘भल्ला गली’ हो गया। आज भी भल्ला गली का नाम सुनते ही पूरा बचपन पलों में नयनों के समक्ष चलचित्र की भांति घूम जाता है।
उनके जीवन का ये सिद्धांत सर्वोपरि रहा कि दुनिया में आकर समाज में नेकी व इज्जत कमाओ,व साथ ही भक्ति की कमाई भी अवश्य करो। गीता के अध्याय २ का श्लोक संख्या २३ उनका पसन्दीदा श्लोक था-
‘नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारूतः।’
इसके अतिरिक्त श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के नौवें महल्ले के श्लोक उन्हें अत्यन्त प्रिय थे व कंठस्थ थे, क्योंकि उनमें जीवन की वास्तविकता का सार है।
शुद्ध बारीक खादी का सफेद कुर्ता,पायजामा उनका पसंदीदा एवं गौरवपूर्ण परिधान रहा। काश वो बचपन वापिस आ जाए,हम फिर से अपने पापा के पास ही रहें,कभी अलग न होने के लिए…।

परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

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