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किया विरह का अंत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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आया मनभावन वसन्त….

मौसम मदमाने लगा, शोभन लगे वसंत।
मधुमासी परिवेश ने, किया विरह का अंत॥
किया विरह का अंत, आज तो चंचल मन है।
ख़ुद से ही है दूर, आज ख़ुद का ही तन है॥
अमराई में कूक, फुर्र तो है अब सब ग़म।
खिलने लगा पलाश, बहुत ही भाता मौसम॥

बहकी शीतल वायु है, शोभन लगे वसंत।
प्रेमिल अब मौसम हुआ, तोड़ रहे तप संत॥
तोड़ रहे तप संत, मिलन की ही सब बातें।
दिन में प्रिय की याद, लग रहीं सूनी रातें॥
लगे गुलाबी ठंड, ताप से काया दहकी।
हर कोई मदमस्त, सभी की गति है बहकी॥

पलता है आनंद अब, शोभन लगे वसंत।
ढूंढ रहीं अंखियाँ व्यथित, कहाँ गए हैं कंत॥
कहाँ गए हैं कंत, मिलन हो जाए चोखा।
जाने कोई हाल, खा गया यह दिल धोखा॥
है वियोग की मार, वसंती मौसम खलता।
व्याकुल है अनुराग, हृदय में प्रियवर पलता॥

बहक रही है सृष्टि अब, हुआ सुवासित प्यार।
नेहिलता से भर गया, आज सकल संसार॥
आज सकल संसार, वसंती दौर आ गया।
अमराई खुशहाल, पेड़ पर बौर आ गया॥
झूमें हम मनमीत, चेतना महक रही है।
अधरों पर नवगीत, नज़र अब बहक रही है॥

आशा गाती गीत अब, है वसंत का नेह।
आतपमय होने लगी, देखो तो अब देह॥
देखो तो अब देह, फूल हैं हर उपवन में।
जागा है अब काम, संत के भी तो मन में॥
हर दिल में अभिसार, सभी ने तजी हताशा।
दूर हुआ नैराश्य, चरम पर सबकी आशा॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।