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कुछ-कुछ सोचता रहता हूँ

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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जमाने पर क्या कहूं,
ऐतबार नहीं होता है
फरियाद लेकर कहां जाऊं!
उम्मीद नहीं दिखती है
मुश्किल वक्त पर क्या करूं ?
मददगार नहीं मिलता है
खुशियाँ लेकर कहां जाऊं ?
दोस्तों का साथ नहीं मिलता है
बुलंदी पर पहुंचने पर,
आभार नहीं दिखता है
तकलीफ़ हो तो यहाँ,
ताने का प्रखर प्रहार
अवश्य यहाँ मिलता है।

इसके लिए कौन जिम्मेदार है ?
नहीं यहाँ कोई किसी को
मन से करते प्यार हैं,
बस अपनी सोच को बदलना होगा
मजबूती से आगे बढ़ने में,
सबको सम्बन्धों में जोड़ने वाली
अहम् फैसला लेना होगा।

यही बार-बार सोचते हुए,
मन ही मन से गुफ्तगू करते हुए
समय बीतता जा रहा है।
कुछ उम्मीद और विश्वास से,
आज़ एतबार करने की
जरूरत समझ में आने लगी है॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।