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क्षमापना जीवन का महत्वपूर्ण कर्तव्य

संदीप सृजन
उज्जैन (मध्यप्रदेश) 
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क्षमापना पर्व ३ सितम्बर विशेष…….

“मुझे क्षमा कर दीजिए,मेरी वजह से आपको दुःख पहुँचा”,यह कहना बड़े साहस का काम है। शायद इसी लिए क्षमा को वीरों का आभूषण कहा गया है। क्षमा करना उतना कठिन नहीं है,जितना क्षमा मांगना। गलती करना मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। हम सभी अहंकार या प्रमादवश गलती करते हैं,किसी की अवहेलना करते हैं,किसी का अपमान करते हैं,लेकिन हमें अपनी गलती का अहसास हो गया हो तो साफ मन से क्षमा याचना करके गलती से होने वाले गंभीर परिणामों का टाला जा सकता है। क्षमा एक ऐसा शब्द है,जो ये दर्शाता है कि,आप अपने किये किसी गलत काम के लिए शर्मिंदा हैं और साथ ही इस एक शब्द का इस्तेमाल करके आप, गलती हो जाने के बाद किसी भी रिश्ते को सुधार सकते हैं। क्षमायाचना का भाव तभी आता है,जब दुखी हुआ इंसान,उस सामने वाले इंसान के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की कोशिश करना चाह रहा है,जिसे दुःख हुआ है। क्षमा मांगना कोई विशेष कला या ज्ञान नहीं, यह तो केवल इस पर निर्भर है कि आप स्पष्ट रूप से सत्य बोल पाते हैं कि नहीं। जब हमें वास्तव में अपने कार्य पर पछतावा होता है,तो सही शब्द स्वत: ही बाहर आने लगते हैं और क्षमा मांगना अत्यंत सरल हो जाता है। वास्तव में क्षमा याचना विश्वास का एक पुनःस्थापन है। इसके द्वारा आप यह कह रहे हैं कि,मैंने एक बार आपका विश्वास तोड़ा है,किंतु अब आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं और मैं ऐसा फिर कभी नहीं होने दूँगा। जब हम एक भूल करते हैं,तो दूसरे व्यक्ति के विश्वास को झटका लगता है। अधिकतर सकारात्मक भावनाओं की नींव विश्वास ही होती है।

एक सच्ची क्षमा याचना में यदि और परंतु जैसे शब्दों का कोई स्थान नहीं होता। यह कहना कि-आपने ऐसा क्यों किया ?,इसका भी कोई अर्थ नहीं। सर्वश्रेष्ठ क्षमा याचना वह है जहाँ आप यह पूर्ण रूप से समझें,महसूस करें तथा स्वीकार करें कि आपके कार्यों ने अन्य व्यक्ति को ठेस पहुँचाई है। एक कारण या औचित्य देकर अपनी क्षमा याचना को दूषित न करें। यदि आप सच्चे दिल से क्षमा नहीं मांगते हैं,तो आप अपनी क्षमा प्रार्थना का नाश कर रहे हैं। इससे दूसरे व्यक्ति को और अधिक कष्ट होगा। आप एक क्षमा याचना अथवा एक बहाने में से केवल एक को ही चुन सकते हैं,दोनों को नहीं। संसार के प्रत्येक धर्म और दर्शन में क्षमा को आत्मोन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। जैन धर्म में क्षमापना को जीवन का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य बताया गया है। क्षमापना का अर्थ है क्षमा मांगना भी और क्षमा करना भी। जीवन में कोई भी व्यवहार हो,जब परस्पर रूप से दोनों और से निभाया जाता है,तो ही सार्थक होता है। एक सच्ची एवं निष्कपट क्षमा याचना वह होती है,जिसमें आप अपने अपराध को पूर्ण रूप से स्वीकार करते हैं,किंतु यदि अन्य व्यक्ति आपकी क्षमा प्रार्थना स्वीकार नहीं करते हैं,तो भी आप प्रयास जारी रख सकते हैं। एक क्षमा के बदले हमेशा एक और क्षमा आती है,फिर भले ही वो आपके द्वारा ही किसी बात का अहसास होकर आए या फिर सामने वाले इंसान द्वारा,हो सकता है कि उसे लगे कि,इस बहस में वो भी बराबर के हिस्सेदार हैं,और वो आपसे क्षमा माँगने लगें। जब ऐसा हो तो आप भी क्षमा करने के लिए तैयार रहें।

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