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गले मिलो प्रेम संग

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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नई साल आती रहे,मन में हो शुभ भाव,
करते शुभकामना,सभी हम प्यार से।

भारत धर्म संस्कृति,आए न कोई विकृति,
मन में गुमान रख,रहना संस्कार से।

बार-बार प्रयास हो,परिश्रम विश्वास हो,
लक्ष्य पर हो निगाह,डरो नहीं हार से।

शीतल स्वभाव रख,सफलता स्वाद चख,
गर्म लोह कट जाए,शीतल प्रहार से।

पंख लगते वक्त को,दोष नहीं सशक्त को,
वक्त ही सिकंदर है,वक्त बलवान है।

समय का सुयोग हो,सदा सदुपयोग हो,
साध लिया समय तो,नर धनवान है।

नष्ट किया समय व्यर्थ,खो दिया जीवन अर्थ,
समय चाल टेढ़ी है,करे अवसान है।

साथ चले वक्त धार,श्रम तप सहे मार,
नई साल सोच यही,मन अरमान है।

नया साल नई बात,बीत गई काल रात,
नवज्योति जलती,नवरात आई है।

हर कोई देव पूजे,देख-देख एक-दूजे,
पूजते हैं बालिकाएँ,रीत चलि भाई है।

खेत में किसान रहे,श्रम स्वेद धार बहे,
सींच-सींच श्रम स्वेद,फसलें पकाई है।

गेंहूँ चना,तारा मीरा,जौं सरसों और जीरा,
धनिया मैथी साथ ही,हो रही कटाई है।

चैती ये नवराते है,माँ के वंदन गाते हैं,
ध्यान योग धार नर,शक्ति नव धारिये।

दैवी शक्ति मातु मान,नारी शक्ति पहिचान,
बेटियों को मान देना,आपदा को टारिये।

नारी जाति सृष्टि सार,नारी से ही घर-द्वार,
भावनाएँ शुद्ध रख,मन चोर मारिये।

नव वर्ष नव भाव,मानवीय हो स्वभाव,
ऊर्जा नवीन धारण,धैर्य मत हारिये।

बीत गया बात छोड़,रीत नई प्रीत जोड़,
वर्तमान देख कर,भावि को सहेजिए।

पत्र गये,तार गये,रीत रामा श्यामा गये,
अच्छे-अच्छे भाव रच,संदेशे तो भेजिए।

मीत-प्रीत बन्धुवर,नाते-रिश्ते जोड़ कर,
आपसी सदभाव रख,मनुजात के लिए।

होली पर आँच देखी,करनी भलाई नेकी,
तीज व त्योहार देख,दीर्घायु सब जिए।

देता हूँ शुभकामना,संग बधाई मानना,
सम्वत नव वर्ष हो,शुद्ध मन भाव से।

लोकतंत्र मानकर,सब मतदान कर,
भली सरकार चुन,सत्य सद भाव से।

हित बलिदान कर,पर हित दान कर,
रहे न गरीब कोई,दुखिया अभाव से।

ज्ञान दीप उजियार,कर्म कर भूमि धार,
सब जन सुखी रहे,प्रीत के प्रभाव से।

होली की उमंग बाद,कुहुक रही कोयलें,
चैत माह नये-नयेे,पात पेड़ धारते।

खेत में किसान देख,फसल कटाई करे,
स्वेद बिन्दु स्वाति यश,काम तन हारते।

गर्म हवा पछुवाई,ग्रीष्म के संदेश लाई,
दिनकर कोप करि,ताप तन जारते।

शीतला,गणगौर माता,रामनवमी चैत में,
नव अन्न आए घर,नया साल मानते।

समय चक्र चलता,अवसर भी मिलता,
ठहरते दोऊ नहीं,पाए तो भुनाइये।

जैसा मिले खा पहन,शुद्ध रहन-सहन,
आदर मान मान के,बोल तो सुनाइये।

अच्छे गीत बोलकर,शब्द भाव तौलकर,
साँच-झूठ जान कर,मीत भी बनाइये।

दिन वार त्यौहार,सोच जग व्यवहार,
नया सम्वत आ रहा,पर्व ये मनाइये।

न जाने कितने गये,आएँगे फिर से नए,
इंसान बस मनाता,कबसे सु वर्ष है।

रीत-प्रीत और गीत,शासन व सत्ता नीति,
मानवीय हित साध,अब से सहर्ष है।

आन-बान मय शान,देशभक्ति अरमान,
मानवता का सम्मान,जन से उत्कर्ष है।

विकास के भरम में,विज्ञान के चरम में,
देश,धर्म,जाति पंथ,सबसे संघर्ष है।

चैत माह चेत नर,मातु संग हेत कर,
नव परिवेश संग,आई नव साल है।

विकास मान देश हो,नवीन परिवेश हो,
चमके जैसे चन्द्रमा,भारती का भाल है।

पास के पड़ौसी देश,रखे खूब मन द्वेष,
पालते आतंककारी,भेदनी वे चाल है।

जवान व किसान के,देश स्वाभिमान के,
दोहे गीत छंद गाता,शर्मा बाबू लाल है।

आता नया साल जब,छाए मन रंग तब,
माह चैत्र लगे तब,मौसम सुहाना है।

प्यार प्रेम प्रीत संग,नेह देह दुलार अंग,
आशीषों की कामना,मिलना बहाना है।

सैनिक की सलामती,मौज़ मात भारती,
चैन में किसान रहे,गाना वो तराना है।

हर हाथ काम मिले,हर डाल फूल खिले,
राष्ट्र गीत राष्ट्र गान,हर कंठ गाना है।

समय चक्र चले है,सुरीति प्रीत पले है,
गये लौट आए नहीं,कीमत तो जानिए।

बीत गया जो बीतना,जल घट-सा रीतना,
वर्तमान साध बस,बात यही मानिए।

आया नव वर्ष यह,चैत्र मने हर्ष यह,
नवरात्रि साधना से,आत्मबल पाइए।

फसलें पकी है सारी,शक्तिपुंज जीवधारी,
नए वर्ष नवरात,नवगीत गाइए।

बदले सम्वत वर्ष,बीता समय सहर्ष,
घर-घर पर्व मने,मिल के मनाइए।

खीर खाँड पूरी साग,जैसा जैसे मिले भाग,
हँसी-खुशी जीम कर,सबको जिमाइए।

गले मिलो प्रेम संग,एकता न होवे भंग,
प्रीत रंग घोल कर,नेह को निभाइए।

दोहा पद गीत छंद,ग़ज़ल बने पसंद,
मीठी वाणी बोल कर,सबको सुनाइए।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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