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शिव तत्व को आत्मसात करता पंचमुखी मंदिर

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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महाशिवरात्रि विशेष………..

देव-भूमि हिमाचल में कण-कण में भगवान शिव विराजमान हैं,बस आपको अपने भीतर शिव तत्व को आत्मसात करने की आवश्यकता है। जब आप ईश्वर का साक्षात्कार पा जाते हैं तो फिर आप बाहरी आडंबर,उनकी परिकल्पना से परे हो जाते हैं।
हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन में नालागढ़ क्षेत्र के अंतर्गत भगवान शिव का पंचमुखी शिव मंदिर का इतिहास सोलहवीं सदी के लगभग माना जाता है। मंदिर की स्थापना की बड़ी ही रोचक कथा है। कहा जाता है कि राजा नलसेन( उस समय के राजा) महल परिसर में शिव मंदिर की स्थापना करवा रहे थे कि पहाड़ पर ले जाते हुए अचानक उनके हाथ से भगवान शिव का प्रतिरूप शिवलिंग छूट गया और नीचे ‘चोए’ में गिर गया। ‘चोया’ हिमाचली भाषा में पानी के उस स्त्रोत को कहते हैं जो पहाड़ी क्षेत्रों में बहता है। इस मंदिर का एक अन्य नाम ‘चोय वाला मंदिर’ भी है। कहा जाता है कि गिरते ही शिवलिंग ५ टुकड़ों में विभाजित हो गया। राजा को बहुत खेद हुआ और उसने इस चोय में पंचमुखी शिवलिंग की स्थापना करवाई। इस मंदिर की शैली बहुत ही भव्य है। मंदिर की हर दीवार पर मंदिर का ही छोटा प्रतिरूप अंकित है। मंदिर के चारों तरफ ऊपर शिवलिंग है और एक बड़ा शिवलिंग बिल्कुल ऊपरी भाग में और एक शिवलिंग नीचे गर्भ गृह में है। मंदिर परिसर में भगवान शिव के सम्मुख नंदी की विशालकाय मूर्ति खड़े रूप में स्थापित है। यह इसलिए भी अलग है क्योंकि ज्यादातर शिव मंदिरों में नंदी जी की शिवलिंग के आगे बैठी हुई मूर्ति ही विराजमान होती है,लेकिन इस मंदिर में शिवलिंग के आगे खड़े रूप में है।
माना जाता है कि जब सती माता के सती होने पर जब भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए थे,तब नंदी जी ने खड़े होकर ही भगवान शिव का इंतजार किया था और सती के पार्वती रूप में अवतरित होने तक वह खड़े ही रहे थे। यह स्थल बहुत ही पवित्र और पावन है। यहां ध्यान लगाने पर मंदिर के गर्भ गृह में ॐ स्वर गुंजायमान होता है। सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण यह शिव धाम समस्त मनोकामना को पूर्ण करता है।

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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