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मेरा प्यारा विक्कू

अलीशा सक्सेना
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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इस बार गर्मी की छुट्टी में मुझे नानाजी के यहाँ जाने की बहुत ख़ुशी हो रही थी, क्योंकि मुझे मालूम था कि नानाजी ने एक छोटा-सा पप्पी (कुत्ते का बच्चा) पाला है। मुझे पशुओं से बहुत लगाव है। रास्तेभर मैं उसके बारे में सोचती रही,पर मेरी छोटी बहन अर्शी को जानवरों के बालों से एलर्जी थी। जब हम नानाजी के यहाँ पहुंचे तो एक भूरे बालों वाला छोटा-सा पप्पी हमारे पास दौड़ता हुआ आया।वो भौंकने लगा तो,मुझे थोड़ा-सा डर लगा,पर मामा ने मेरी उससे दोस्ती करा दी,उसका नाम ‘विक्कू’ था।
एक दिन दोपहर को मैं,विक्कू और नानी छत पर सूखे कपड़े उतारने गए तो वहां छत पर पड़ोसी के आम के पेड़ से कुछ कच्चे आम टूटकर हमारी छत पर गिर गए। विक्कू उन्हें बॉल समझ कर खेलने लगा। मैं भी उसके साथ खेलने लगी, क्योंकि अब हमारी विक्कू से दोस्ती हो गई थी। मुझे विक्कू बहुत अच्छा लगता था,वो अजनबियों को देख कर बहुत भौंकता था।
एक शाम को हमारे नानाजी आँगन में बैठे थे कि,उनसे मिलने उनके कुछ दोस्त आ गए। विक्कू उन्हें देखकर जोर-जोर से भौंकने लगा। नानाजी को उसके भौंकने पर इतना गुस्सा आया कि,उन्होंने विक्कू को लकड़ी से दो-तीन बार जोर से मार दिया। विक्कू कै..कै..कै..करता हुआ अंदर चला गया। उसे जोर से लग गई थी शायद। मुझे विक्कू पर बहुत दया आई। अब विक्कू किसी को भी देख कर भौंकता नहीं था,गुमसुम-सा बैठा रहता था। जब भी नानाजी आते,वो सहम कर छुप जाता था। एक दिन दोपहर को हमारे अहाते में कुछ शरारती बच्चे घुस गए और अमरुद तोड़-तोड़ कर खाने लगे,साथ ही नानी के बगीचे के फूल भी तोड़ लिए। विक्कू उन्हें चपुचाप देखता रहा,पर डर के मारे भौंका नहीं। तब नानीजी ने नानाजी को समझाया कि,देखो विक्कू को हमने अपनी सुरक्षा के लिए पाला है, उसके साथ प्यार से बात किया करो। नानाजी ने बात समझ में आते ही विक्कू को बुलाया और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा। उसे दूध पिलाया तो,वो खुश हो गया और हम सब पर ही फिर भौंकने लगा,खूब उछल-कूद करने लगा। हम समझ गए कि,विक्कू बहुत खुश है, इसलिए मस्ती कर रहा है। हम सब उसके साथ फिर से खेलने लगे।
#सन्देश-प्राणियों से प्यार करो।

परिचय-अलीशा सक्सेना का जन्म १अगस्त २००६ को इंदौर(म.प्र.) में हुआ है। वर्तमान में इंदौर में ही स्थाई डेरा है। फिलहाल निजी विद्यालय में कक्षा ८ में अलीशा अध्ययनरत है। सामाजिक गतिविधि के अंर्तगत शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार सीखने में सक्रियता है। अनेक रचनाएं बाल पत्रिका एवं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। जीव-जंतु और आसपास की घटनाओं से प्रेरित होकर लेखन करने में अग्रणी अलीशा की लेखन विधा-कहानी,कविता और लघुकथा है। शिक्षा के साथ खेलकूद एवं अन्य प्रतियोगिताओं में अग्रणी अलीशा को विद्यालय में कईं सम्मान प्राप्त हुए हैं। लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को अभिव्यक्ति देना है।

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