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जिंदगी इक संघर्ष

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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जिंदगी का उपनाम है संघर्ष,
इशारों पर नचाती जैसे सर्कस।

जिंदगी का हर रुप है चुनौती,
हर पहलू में नया रंग दिखलाती।

कभी टूटती है जीवन की हर एक आस,
तो अगले पल होता समर्पण का एहसास।

है कभी खुशियों और मुश्किलों का शोर,
न जाने ले जाएगी जिंदगी किस ओर।

हर बार उम्मीद,निराशा से होसला डगमगाया,
हर स्थिति में अडिग खड़ा रहने का पाठ सिखाया।

हर एक ठोकर ने हमेशा दी सदा नई सीख,
बुरे वक्त में कोई किसी का नहीं,सुनाई देती चीख।

इस हसीन खूबसूरत जिंदगी के सफर में आया नया नजारा,
जब बुरा वक्त आया तब पता चला कौन अपना कौन पराया।

जिंदगी के कभी राह पर मिलती निराशा,
हर मोड़ पर मिलती इनसे लड़ने की प्रेरणा॥

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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