बबीता प्रजापति
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
******************************************
माँ! मैं भी देश की शान कहलाऊंगा,
देखना, देश की खातिर
माटी में मिल जाऊँगा।
ये धरती सदा हरित रहे,
केशरिया साहस शौर्य भरे
लिपटकर श्वेत वस्त्रों में,
धरती का लाल कहाऊंगा।
देखना देश की खातिर
माटी में मिल जाऊँगा…॥
तो क्या हुआ जो घर छोड़ा,
अपनों को रोते छोड़ा
ये धरती तो माँ है मेरी,
गोद में इसकी सो जाऊँगा।
देखना, देश की खातिर,
माटी में मिल जाऊँगा…॥