आशा आजाद`कृति`
कोरबा (छत्तीसगढ़)
*******************************************
मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष….
सूर्य उत्तरायन हो तभी,मकर संक्रांति आय।
मकर गुजरता रेखण से,सबके मन को भायll
तमिलनाडु केरल जहाँ,कहते पोंगल
पर्व।
हरियाणा पंजाब में,कहे लोहड़ी
सर्वll
भोर भये सब स्नान कर,करते पूजा-पाठ।
तिल का उबटन सब मलें,सबके अपने ठाठll
गुड़ के लड्डू है बने,मीठे सब पकवान।
सुहागिनें पूजा करें,माँगे शुभ वरदानll
चावल खिचड़ी बाँटते,परम्परा है नेक।
मिल-जुल कर सब मानते,समझे सबको एक॥
विद्या दाता काल है,ऐसा कहते लोग।
शुभ पल गृह निर्माण का,शुभम् अनूठा योगll
इस दिन करते हैं सभी,पुण्यकाल में दान।
सूर्य पूजन आराधना,मांगे विद्या ज्ञानll
पितरों को खुश सब करें,नेक दिवस पर खास।
आज प्राप्ति शुभ लाभ की,आस्था अरु विश्वासll
आता जब त्योहार यह,मन होता अतिहर्ष।
करें प्रार्थना प्रेम से,शुभ होवे यह वर्षll
परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”