मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)
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कोचिंग क्लॉस से सीधी यहां पहुंची रमिता बैग को एक ओर रख नि:संकोच नितिन के कंधे पर लापरवाह-सी हाथ रखती हुई मुदित स्वर में बोली-
“देखो-देखो नितिन ! मोर नाच रहा है, साथ में पक्षी भी चहचहा रहे हैं। चारों ओर हरियाली ही हरियाली, फूलों की महक, बैठने और घूमने की माकूल व्यवस्था, कितना सुंदर और मनमोहक नजारा है यहां का। इस बगीचे में आकर चित्त एकदम प्रसन्न और मस्तिष्क बिल्कुल तनाव रहित हो जाता है।”
नितिन मुस्कुराया-
“हाँ रमिता! तुम साथ हो तो तनाव कैसा ?”
रोज उनके खुशनुमा हावभाव और बातें सुन प्रतिदिन नियत समय पर आने वाले रामप्रसाद जी कुछ तनाव में आ जाते, पर कह कुछ नहीं पाते। कुछ महीनों यही सिलसिला चलता रहा।
आज रमिता की बातें सुन रामप्रसाद जी और अधिक तनाव में आ गए, जिसकी आशंका थी वही हुआ। रमिता ने बुझे स्वर में बस इतना ही कहा-
“अब मेरा क्या होगा ? मैं कहीं की नही रही…।”
परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।