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दहेज़ का अजगर

सौदामिनी खरे दामिनी
रायसेन(मध्यप्रदेश)

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दहेज़ रूपी अजगर डस रहा है समाज को,
विषधर का विष पीना पड़ रहा है बेटियों के बाप को।
इस दानव ने न जाने कितनी बेटियों को जला दिया,
बेटी का बाप बेटों के बाप से करता गुहार है।
जान से लगा के पाला जिन बेटियों को,
वही अब दहेज़ रूपी दानव की शिकार है।
रो-रो के बेटियाँ कर रही है प्रार्थना,
मत मारो सासू माँ,मेरे पिताजी गरीब हैं।
गाड़ी,बंगला,कार देने के योग्य नहीं,
घर में उनकी कर्जे से हालत खराब है
छोटी बहिन शादी के योग्य हो गयी है,
पर मेरी चिंता में माता जी की हालत खराब है।
पगड़ी उतार धरी ससुर जी के पाँव में,
कहने लगे समधी से-तुम्हारे हाथ मेरी लाज है।
एक दिन फोन ससुराल से आ गया,
आपकी बेटी की तबियत खराब है।
दौड़े-दौड़े अस्पताल में पहुँच गये,
वहाँ पता चला कि बेटी अस्सी फीसदी जल गयी,
अब तो बिटिया की हालत खराब है।
बेटी को एक दिन दहेज ने निगल लिया,
बेटी के बाप की गरीबी अभिशाप हैll

परिचय-सौदामिनी खरे का साहित्यिक उपनाम-दामिनी हैl जन्म-२५ अगस्त १९६३ में रायसेन में हुआ हैl वर्तमान में जिला रायसेन(मप्र)में निवासरत सौदामिनी खरे ने स्नातक और डी.एड. की शिक्षा हासिल की हैl व्यवसाय-कार्यक्षेत्र में शासकीय शिक्षक(सहायक अध्यापक) हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,दोहा, ग़ज़ल,सवैया और कहानी है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय दामिनी की लेखनी का उद्देश्य-लेखन कार्य में नाम कमाना है।इनके लिए प्रेरणापुन्ज-श्री प्रभुदयाल खरे(गज्जे भैया,कवि और मामाजी)हैंl भाषा ज्ञान-हिन्दी का है,तो रुचि-संगीत में है।

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