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दिल से दीवाली मनाएंगे

जसवंतलाल खटीक
राजसमन्द(राजस्थान)
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गया खुशियों का त्यौहार,आ गयी देखो दीवाली,
ऐसा कुछ हम काम करेंगे,हर घर में मनेगी दीवाली।

गरीब कुम्हार से दीपक ले के,उसकी रोशन शाम करेंगे,
दिल से नफरत को मिटा के,अहम का सर्वनाश करेंगे।

विदेशी चीजों को ठुकरा के,स्वदेशी को हम प्यार देंगे,
ऑनलाइन कुछ ना खरीदें,हर एक वस्तु बाजार से लेंगे।

प्रदूषण रहित पटाखे फोड़कर,मिट्टी के दीये जलाएंगे,
ऊँच-नीच भेदभाव मिटाकर,दिल से दीवाली मनाएंगे।

गरीबों को देंगे मुस्कान,ऐसा हम कुछ इंतजाम करेंगे।
उनके घर भी हो खुशहाली,ऐसा हम कुछ काम करेंगे।

आओ दिवाली पे प्रण लें,प्लास्टिक मुक्त भारत करेंगे,
उठाकर सब कपड़े का थैला,पर्यावरण की रक्षा करेंगे।

खुशियों का त्यौहार दीवाली,मिल-जुल कर सब मनाएंगे,
रोशनी से जगमग घर होगा,खुशी के गीत सब गाएंगे।

एक दिया सब शहीदों के नाम,दिल से जरूर जलाएंगे,
‘जसवंत’ की करबद्ध विनती,दिल से दिवाली मनाएंगे॥

परिचय-जसवंतलाल बोलीवाल (खटीक) की शिक्षा बी.टेक.(सी.एस.)है। आपका व्यवसाय किराना दुकान है। निवास गाँव-रतना का गुड़ा(जिला-राजसमन्द, राजस्थान)में है। काव्य गोष्ठी मंच-राजसमन्द से जुड़े हुए श्री खटीक पेशे से सॉफ्टवेयर अभियंता होकर कुछ साल तक उदयपुर में निजी संस्थान में सूचना तकनीकी प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे हैं। कुछ समय पहले ही आपने शौक से लेखन शुरू किया,और अब तक ६५ से ज्यादा कविता लिख ली हैं। हिंदी और राजस्थानी भाषा में रचनाएँ लिखते हैं। समसामयिक और वर्तमान परिस्थियों पर लिखने का शौक है। समय-समय पर समाजसेवा के अंतर्गत विद्यालय में बच्चों की मदद करता रहते हैं। इनकी रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं।

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