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धरा पर आ जाओ एक बार

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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जन्माष्टमी विशेष…

माटी का कण-कण ये बोले,
जो कर्ता-धर्ता सृष्टि का
हाथ में जिसके सारी सत्ता,
बिन मर्जी पत्ता न हिलता।
विनती सुनिए श्याम मुरार,
धरा पर आ जाओ एक बार…॥

गीता का है ज्ञान तुम्हीं से,
और विदुर का मान तुम्हीं से
अर्जुन के सारथी महान,
देवकी की तुम संतान।
यमुना रो रही, करे पुकार,
धरा पर आ जाओ एक बार…॥

चौराहों पर जलें द्रौपदी,
राधा फाँसी से लटकती
रूक्मणी आर्तनाद है करती,
हर नारी से दुर्व्यवहार।
दुष्टों का कर दो संहार,
धरा पर आ जाओ एक बार…॥

व्याकुल हैं जग के नर-नारी,
कहाँ छुपे हो श्याम-बिहारी ?
धर्म-ध्वजा गिरी गर्त में,
मानवता बेबस बेचारी।
तब लेते हो तुम अवतार,
धरा पर आ जाओ एक बार…॥

लोकतंत्र षड्यंत्र बना है,
गली-गली पाखंड बिका है
सत्ता के मद झूम रहे सब,
जनता का तो हाल बुरा है।
झूठ का सजा बाजार,
धरा पर आ जाओ एक बार…॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।