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पुस्तकें लोक, समाज और राष्ट्र की धरोहर

देवरिया (उप्र)।

पुस्तकें लोक, समाज और राष्ट्र की अमूल्य धरोहर होती हैं। पुस्तक ‘बंद दरवाजे का मकान’ एवं ‘समय के अश्व’ में काव्य शिल्पी प्रियंवदा का रचना संसार बड़ा है। इन्होंने जीवन की सफल चित्रकारी की है।
यह बात मुख्य अतिथि प्रख्यात भाषा विज्ञानी एवं मीडिया अध्ययन विशेषज्ञ आचार्य पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने कही। अवसर रहा साहित्य शक्ति संस्थान के सौजन्य से पुस्तक विमोचन एवं सारस्वत सम्मान समारोह का, जो नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया में हुआ। इस अवसर पर ४० रचनाकारों को अंग-वस्त्र, स्मृति चिन्ह, सम्मान-पत्र देकर अतिथिद्वय ने सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य वीरेन्द्र मिश्र ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में रंगकर्मी डॉ. किशोर सिन्हा रहे। शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। स्वागत भाषण इन्द्र कुमार दीक्षित ने दिया।
पुस्तक की भूमिका बालेन्दु मिश्र व समीक्षा ज्ञानेन्द्र मिश्र ने पढ़ी। प्रियंवदा ने अपनी लेखन यात्रा के बारे में चर्चा करते हुए सबको मंत्रमुग्ध किया, साथ ही ५ रचनाओं का पाठ किया।
प्रियंवदा ने सभी अतिथियों का स्वागत-सम्मान भी किया।
इस अवसर पर पी.के. शर्मा, डी.के. मौर्या, रामप्रताप चौरसिया, प्रियंका राय, सुरेन्द्र राव आदि उपस्थित रहे।

संचालन डॉ. पंकज शुक्ल ने किया।