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प्रकृति कितनी शांत

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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प्रकृति कितनी शांत, सरल है
सबके मन अति भाती है
पुष्प खुमानी धवल देख,
धरती मन में इठलाती है।

सरस, सुगंधित हवा चली,
शीतलता है बरसाती
झरने का जल अमृत जैसा,
तन-मन की प्यास बुझा दी
प्रेम-सरोवर में डूबी,
प्रकृति प्यारी मुस्काती है।
पुष्प खुमानी धवल देख…

पेड़ों की लंबी कतार में,
धूप-छाँव का नजारा
फूलों से लदे पेड़ लख,
हर्षित-हृदय हमारा
रंग-रंगीले फागुन में,
ढप, चंग बजाई जाती है।
पुष्प खुमानी धवल देख…

कभी धूप लगती अच्छी,
कभी छाँव में चलते हैं
सटे, कहीं दूर-दूर घर,
नदी किनारे बसते हैं
नदी यौवना के जैसी,
इठलाती बलखाती है।
पुष्प खुमानी धवल देख…
धरती मन में इठलाती है॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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