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प्रभु राम…

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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प्रभु राम का अवतरण,
हमारी आस्था व विश्वास का पक्षधर है
वह राम ही तो है जो कण- कण में है,
वह राम ही तो है जो हमारे जीवन में हैं
वह हमारे प्राण हैं,
वह हमारे भगवान हैं।

जग को मर्यादा का पाठ पढ़ाने,
हम सभी को सही राह दिखाने
कभी वह क्षत्रिय धर्म का पालन करते,
कभी वह स्नेह व वात्सल्य से राम-भरत मिलाप करते।

दुखों के लाख पहाड़ आए,
वह घबराते नहीं थे
वह अपने बड़े-बुजुर्गों, गुरुजनों व माता-पिता की बात मानते थे,
प्रभु राम का पूरा जीवन मनुष्य धर्म का आधार है।

भगवान राम की भक्ति की शक्ति से,
अच्छे-अच्छे भव सागर से पार हो गए
पत्थर बनी अहिल्या भी तर गई,
वहीं भक्त शबरी भी अपने भव से पार हो गई।

केवट का वह संवाद आज भी प्रासंगिक है,
विभीषण का रामभक्त चरित्र जग विख्यात है
हनुमान का वह मोती की माला में,
प्रभु राम को ढूँढना
भक्तों की भक्ति का यह जीवित चित्रण है।
प्रभु राम का अवतरण,
हमारी आस्था व विश्वास का पक्षधर है॥