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‘बदलते परिवेश में हिन्दी ग़ज़ल’ लोकार्पित

मुजफ्फरपुर (उप्र)।

जीरोमाईल स्थित आँच साहित्यिक पत्रिका के कार्यालय में मंच साहित्यगाथा के अंतर्गत डॉ. भावना की तीसरी आलोचना पुस्तक ‘बदलते परिवेश में हिन्दी ग़ज़ल’ का लोकार्पण हुआ। शुरुआत दीप प्रज्वलन तथा हेमा सिंह द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई।
इस अवसर पर डॉ. भावना ने आगत अतिथियों का अभिनंदन करते हुए पुस्तक के बारे में बताया कि, सैकड़ों की भीड़ में से ११ ग़ज़लकारों को चुना एवं उन पर विस्तार से लिखा है। छपरा से आए युवा ग़ज़लकार अविनाश भारती ने कहा कि, हिन्दी ग़ज़ल व आलोचना के क्षेत्र में डॉ. भावना का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. पूनम सिंह ने कहा कि, डॉ. भावना की लेखन में निरंतरता प्रभावित करती है। सुपरिचित कवि रमेश ऋतंभर ने पुस्तक पर कहा कि एक ऐसे दौर में जहाँ लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं, दूसरों के लिए सोचना एवं उनकी विशेषताओं को लिपिबद्ध करना डॉ. भावना का गहन अध्ययन एवं अग्रज रचनाकारों को गंभीरतापूर्वक पढ़ने को दर्शाता है। अध्यक्षीय उद्गार में शुभ नारायण सिंह ने पुस्तक की बाबत कई महत्वपूर्ण बातें कहीं और लेखन में निरंतरता के लिए डॉ. भावना की तारीफ की। दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन हुआ, जिसमें डॉ. पूनम सिंह, डॉ. रमेश ऋतंभर, पंखुरी सिन्हा, श्यामल श्रीवास्तव एवं डॉ.पंकज कर्ण ने अपनी प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। धन्यवाद ज्ञापन संस्था के सचिव डॉ. कर्ण ने दिया।