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बीती ताहि बिसारि दे,आगे की सुधि लेइ

संदीप सृजन
उज्जैन (मध्यप्रदेश) 
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प्रधानमंत्री का देश के नाम संबोधन 
८ अगस्त को ८ बजने का पूरे भारत सहित विश्व को इंतजार था। सभी की नज़रें टी.वी. चैनल्स की तरफ थी। भारतीय गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सुनने के लिए पूरा विश्व बैठा था। भारत के संविधान में एक बड़े परिवर्तन के बाद यह उदबोधन पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण था। इस उदबोधन में कश्मीर से ३७० की बिदाई की बात तो थी ही,जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद से,अलगाववाद से और बेरोजगारी से मुक्त करवाने की पहल का आश्वासन महत्वपूर्ण बात रही। प्रधानमंत्री ने अपने उदबोधन की शुरुआत करते हुए जम्मू-कश्मीर के निवासियों को भारत का परिवार मानते हुए एक परिवार कहा,जो वहाँ के निवासियों को भारत की मुख्यधारा में लाने की बहुत ही उम्दा शुरुआत है।
कश्मीर की बिगड़ी हुई स्थितियों के लिए अनुच्छेद-३७० और ३५-ए को जिम्मेदार बताते हुए बिलकुल सटीक कहा कि,इन दोनों अनुच्छेद के कारण पाकिस्तान वहाँ की जनता को भड़काता रहा था,इस वजह से पिछले तीन दशक में लगभग ४२ हजार निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।देश में पूर्व सरकारों द्वारा कई कानून बनाए गये,लेकिन वे पूरे देश में एक साथ लागू नहीं हो पाते थे। जम्मू-कश्मीर उन कानूनों से वंचित रह जाता था।
नई संभावनाओं पर अपनी बात रखते हुए मोदी जी ने जम्मू-कश्मीर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने का आश्वासन भी दिया,जो वहाँ की जनता को अपने अधिकारों से रुबरु कराने की अच्छी पहल है। साथ ही जो योजनाएँ कागज पर रही,उनके क्रियान्वयन का भी आश्वासन दिया और केन्द्र सरकार द्वारा किए गये कार्यों पर भी अपनी बात रखी। जो काम पूर्व सरकारों द्वारा नहीं हो पाए थे,उन्हें किस तरह वर्तमान केन्द्र सरकार ने किया,यह बताया और इसके परिणामों पर भी प्रकाश डाला।
अभी तक जम्मू-कश्मीर में एक वर्ग ऐसा था जो लोकसभा के चुनाव में तो मतदान करता था,लेकिन विधानसभा और अन्य निकाय चुनावों में मतदान का अधिकार उनको नहीं था। वे अब देश की मुख्यधारा में होंगे और उनको अपना जन प्रतिनिधि हर स्तर पर चुनने का अधिकार होगा। इस नई व्यवस्था से आतंकवाद-अलगाववाद व परिवारवाद से जम्मू-कश्मीर को मुक्ति मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में दुनिया का सबसे बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने के लिए शासन प्रशासन में जो बदलाव चाहिए,वो करने के साथ ही बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग के लिए कश्मीर को पसंदीदा जगह बताते हुए देश ही नहीं,दुनियाभर के लोग वहां फिल्मों की शूटिंग करने की संभावनाओं व हर फिल्म अपने साथ कश्मीर के लोगों के लिए रोजगार के अनेक अवसर भी लेकर आएगी,एक अच्छी बात कही है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में तकनीकी का और विस्तार करने तथा डिजिटल कम्यूनिकेशन को ताकत मिलने की संभावना भी जताई।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नौजवानों को भी मदद का भरोसा दिलाया व जम्मू-कश्मीर के मुख्य उत्पाद केसर,कहवा,सेब,खूबानी आदि के व्यापार को फिर से अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने का भी विश्वास दिलाया। कश्मीरी शॉल और कलाकृतियां,लद्दाख के जैविक उत्पाद,हर्बल औषधि के विश्व प्रसार करने व हरेक व्यक्ति को रोजगार देने की बात भी की है,जो प्राकृतिक सम्पदा को सहेजने की अच्छी पहल है।
अनुच्छेद-३७० और ३५-ए को हटाने के बाद संसद के दोनों सदनों में हुई बहस पर भी इशारों की भाषा में उन्होंने अपनी बात रख ही दी,और विरोध करने वालों को कह दिया कि वो देशहित को सर्वोपरि रखते हुए व्यवहार करें और जम्मू-कश्मीर-लद्दाख को नई दिशा देने में सरकार की मदद करें। उन्होंने पूरे देश से सहयोग की अपील की, और वहाँ के नागरिकों को विश्वास में लेते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों की चिंता,हम सबकी चिंता है,१३० करोड़ नागरिकों की चिंता है। उनके सुख-दुःख, उनकी तकलीफ से हम अलग नहीं हैं। मैं आज जम्मू-कश्मीर के इन साथियों को भरोसा देता हूँ कि धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएंगे और उनकी परेशानी भी कम होती चली जाएगी।
इस भाषण में प्रधानमन्त्री ने जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए कुछ लोगों को याद किया और कहा इन सभी का सपना रहा है-एक शांत, सुरक्षित,समृद्ध जम्मू-कश्मीर बनाने का। उनके सपने को हमें मिलकर पूरा करना है। इस फैसले के साथ देश की प्रगति और समृद्धि की संभावनाओं पर अपनी बात रखते हुए श्री मोदी ने कहा कि ये फैसला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ ही पूरे भारत की आर्थिक प्रगति में सहयोग करेगा।
भारत के महत्वपूर्ण अंग जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मुख्यधारा में लाने की संसद की स्वीकृति के बाद प्रधानमंत्री का यह भाषण “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ” वाली बात को पुष्ट करता नज़र आता है।

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