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महत्वाकांक्षा

शशि दीपक कपूर
मुंबई (महाराष्ट्र)
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देश का भविष्य,
उम्मीदों के तहख़ाने में
जो कल था,
जो आज है
वो कल होगा।

उन्नत हो रहा है,
और
उन्नत होगा,
आश्रय देती रहेंगी पीढ़ियाँ
सहारा देती रहेगी सीढ़ियाँ,
खुलती रहेंगीं रूढ़ बेड़ियाँ।

भाषण हुए,
भाषण हो रहे हैं
भाषण होते रहेंगे ही,
विचारों की श्रृंखलाओं से
पते झड़ते-पनपते रहेंगे।

देश,
चलाने, संभालने व गिराने के प्यादे
आते-जाते रहेंगे,
नेता और बातें
पर्यायवाची बनते रहेंगे,
राशनकार्ड, इन्कमटैक्स कार्ड और आधार कार्ड
अपने रंग बदलते रहेंगे।
बस, तुम चुपचाप अपना ‘मत’ देते रहना,
यही महत्वाकांक्षा नेता तुमसे सदैव करते रहेंगे॥

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