भोपाल (मध्यप्रदेश)
मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………
पृथ्वी पर सबसे सुंदर रचना है माँ,
ईश्वर का अनमोल उपहार है माँ।
खामोश लबों की आवाज है माँ,
निराकार में साकार रुप है माँ।
छुपती नहीं है कभी कोई परेशानी,
पल में सुलझाती हर उलझी कहानी।
इस धरती पर साक्षात् ईश्वर है माँ,
जन्म से मृत्यु तक पहचान है माँl
चिलचिलाती धूप में है शीतल छाया,
समस्त दौलत की एकमात्र अतुल्य माया।
माँ सदा हम पर करती ममता की वृष्टि,
माँ के सारे रुप समाई संपूर्ण सृष्टि।
हर मोड़ पर सहारा है माँ,
हर जख्म का मरहम है माँ।
जिसने हाथ थाम दुनिया दिखाई,
जीवन की हर राह है दिखाई।
अनजान रास्तों पर हमसफ़र है माँ,
अंधेरी रात में उजली किरण है माँ।
जब-जब चारों तरफ से दुःख गहराया,
तब-तब माँ का सिर पर आँचल लहराया।
ईश्वर की पहली और आखिरी सर्वश्रेष्ठ रचना है माँ,
हमारे असंख्य पुण्यों का अद्वितीय परिणाम है माँll
परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है।