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माल खाये माटी का,गीत गाये बीरा के

विनोद वर्मा आज़ाद
देपालपुर (मध्य प्रदेश) 

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प्रथम चरण में राष्ट्रीय नेतृत्व ने शानदार कार्य किया। उसका परिणाम द्वितीय पारी भारी बहुमत के साथ शुरू करने का आदेश मिला तो अब आमजन की भावना के अनुरूप देश की समस्याओं को चुस्त-दुरुस्त करने का अभिजीत प्रयास चल रहा है। १९४८ में कबायली और पाकिस्तानी सेना द्वारा भारत पर आक्रमण कर हमारे कश्मीर को खंडित किया गया। मामला दुर्भाग्य से संयुक्त राष्ट्र संघ में गया। फिर १९७१ में पुनः उन्मादी बनकर भारत पर आक्रमण कर दिया। नतीजा देश की दुर्गा नाम से सम्बोधित कर देश के पूर्व प्रधानमंत्री और उस वक्त के विपक्षी दल के नेता अटलबिहारी वाजपेई ने प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की जमकर तारीफ की थी,क्योंकि पाकिस्तान के दो टुकड़े कर बांग्लादेश की स्थापना करवा दी थी। इसके पूर्व १९६५ में भी लालबहादुर शास्त्री के नेतृत्व में पाक मुँह की खा चुका था। पाक के उस वक्त के हुक्मरानों जुल्फिकार अली भुट्टो, सैनिक तानाशाह जियाउल हक आदि ने यह सोच लिया कि भारत से सीधे पार पाना मुश्किल है,सो उन्होंने छल और पीठ पीछे वार करने की योजना तैयार की,और इस प्रकार हमारे स्वर्ग से सुंदर प्रदेश में आतंक की शुरुआत हो गई। संसद के दोनों सदनों में गृहमंत्री द्वारा दी गई जानकारियों से जानने को मिला कि,तीन परिवारों के इर्द-गिर्द सत्ता सुख,धन-वैभव का बेजा इस्तेमाल करते हुए धारा ३७० और ३५-ए को बनाये रखने के लिए सेना का विरोध और आतंकियों की मदद का खेल चलता रहा। ४१ हजार से ज्यादा लोग व सैनिक मारे गए। आतंक का कोई धर्म नहीं के नारे लगते रहे,और आतंकियों की मौत पर आँसू बहाने का नाटक चलने के साथ जनाजे में हजारों की तादात में लोग सम्मिलित होते रहे। लगातार सैनिकों पर आक्रमण, पत्थरबाजी का समर्थन करने के साथ उन्हें भटके हुए नौजवान बताना जारी रहा। उन पर कारवाई का विरोध उच्च स्तर पर जारी रहाl इससे एक बात साफ नजर आ रही थी माल खाये माटी का और गीत गाये बीरा के। ये सब सारा देश देख रहा था। अलगाववादियों के साथ पाकिस्तान से बात करने का दबाव बनाया जा रहा था। ऐसे में आतंकी वारदातों का बढ़ना लगातार जारी रहने और कश्मीर की धीर-गम्भीर स्थिति के बाद एक्शन प्लान शुरू हुआ। किसी भी राष्ट्र के एकीकरण और अस्मिता के लिए गुप्त योजनाएं बनाकर उसे अमलीजामा पहनाना उस राष्ट्र के नायक के लिए जरूरी हो जाता है, और वही किया गया।
आचार्य चाणक्य का कहना था-“अगर आपको किसी ने सताया है तो आप उसे जमीन में उतार दो,हमेशा के लिए जड़ से समस्या का समाधान हो जायेगा” और वही किया भी गया। देश की सबसे बड़ी पंचायतों लोकसभा और राज्यसभा में गृहमंत्री ने धारा ३७० को समाप्त करने तथा केन्द्र शासित प्रदेश बनाने का संकल्प पेश कर भारी बहुमत से पारित करा लिया। देश में जो नासूर फल-फूल रहा था, उसकी शल्य चिकित्सा डॉ.अमित शाह ने कर दी। एक जम्मू और कश्मीर तथा दूसरा लेह-लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेश बनाकर इस नासूर को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है।
देश की रक्षा-सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने मतों से आमजनों द्वारा दी जाती है,और राष्ट्र प्रमुख का दायित्व निरन्तर राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर कभी कठोर निर्णय भी लेना पड़े,तो लेना चाहिए। यही तर्क संगत है।
जम्मू और कश्मीर को अलग कर लेह-लद्दाख के साथ न्याय किया गया हैl लद्दाख के युवा सांसद का बयान सुनकर सिर गर्व से ऊंचा हो गयाl उन्होंने अपने लोगों,अपने राज्य और अपने राष्ट्र के लिए जो बातें कही,वह निश्चित ही प्रेरणादायी है।
बधाई राष्ट्रपति को,बधाई द्वितीय लौहपुरुष अमित शाह व विश्व नेतृत्व के क्षमताकार नरेंद्र मोदी को। बधाई देश के समस्त सियासतदारों को कि,देश की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए ऐसा बड़ा कदम उठाया हैl

परिचय-विनोद वर्मा का साहित्यिक उपनाम-आज़ाद है। जन्म स्थान देपालपुर (जिला इंदौर,म.प्र.) है। वर्तमान में देपालपुर में ही बसे हुए हैं। श्री वर्मा ने दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर सहित हिंदी साहित्य में भी स्नातकोत्तर,एल.एल.बी.,बी.टी.,वैद्य विशारद की शिक्षा प्राप्त की है,तथा फिलहाल पी.एच-डी के शोधार्थी हैं। आप देपालपुर में सरकारी विद्यालय में सहायक शिक्षक के कार्यक्षेत्र से जुड़े हुए हैं। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत साहित्यिक,सांस्कृतिक क्रीड़ा गतिविधियों के साथ समाज सेवा, स्वच्छता रैली,जल बचाओ अभियान और लोक संस्कृति सम्बंधित गतिविधियां करते हैं तो गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षण सामग्री भेंट,निःशुल्क होम्योपैथी दवाई वितरण,वृक्षारोपण,बच्चों को विद्यालय प्रवेश कराना,गरीब बच्चों को कपड़ा वितरण,धार्मिक कार्यक्रमों में निःशुल्क छायांकन,बाहर से आए लोगों की अप्रत्यक्ष मदद,महिला भजन मण्डली के लिए भोजन आदि की व्यवस्था में भी सक्रिय रहते हैं। श्री वर्मा की लेखन विधा -कहानी,लेख,कविताएं है। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचित कहानी,लेख ,साक्षात्कार,पत्र सम्पादक के नाम, संस्मरण तथा छायाचित्र प्रकाशित हो चुके हैं। लम्बे समय से कलम चला रहे विनोद वर्मा को द.साहित्य अकादमी(नई दिल्ली)द्वारा साहित्य लेखन-समाजसेवा पर आम्बेडकर अवार्ड सहित राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा राज्य स्तरीय आचार्य सम्मान (५००० ₹ और प्रशस्ति-पत्र), जिला कलेक्टर इंदौर द्वारा सम्मान,जिला पंचायत इंदौर द्वारा सम्मान,जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा सम्मान,भारत स्काउट गाइड जिला संघ इंदौर द्वारा अनेक बार सम्मान तथा साक्षरता अभियान के तहत नाट्य स्पर्धा में प्रथम आने पर पंचायत मंत्री द्वारा १००० ₹ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही पत्रिका एक्सीलेंस अवार्ड से भी सम्मानित हुए हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-एक संस्था के जरिए हिंदी भाषा विकास पर गोष्ठियां करना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा के विकास के लिए सतत सक्रिय रहना है।

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