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मिटे जगत अँधियार

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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राम-राज…

पूरा कर वनवास को, लखन सिया रघुवीर।
लौटे अवधपुरी पुनः, त्यागे वल्कल चीर॥
त्यागे वल्कल चीर, सभी जन देय बधाई।
सजी अयोध्या आज, सभी ने खुशी मनाई॥
दीप जले चहुँ ओर, मनोरथ नहीं अधूरा।
किया दशानन नाश, हुआ है कारज पूरा॥

जलते दीपक रात में, रोशन करे जहान।
मात लक्ष्मी कृपा करें, सबको दे धन-धान॥
सबको दे धन-धान, नहीं कोई भी छूटे।
खुशियाँ मिले अपार, सृष्टि आधार न टूटे॥
रोशन हो घर बार, जहाॅं सब रिश्ते पलते।
मिटे जगत अँधियार, दीप दीवाली जलते॥

तन-मन दोनों स्वच्छ हो, मिटे तमस घनघोर।
उदय ज्ञान का हो सदा, हो समृद्धि चहुँ ओर॥
हो समृद्धि चहुँ ओर, कृपा कुबेर की होवे।
सुख हो हर घर द्वार, न दु:ख से कोई रोवे॥
कहे ‘नवल’ यह बात, चैन से रहें सभी जन।
भरे जगत उल्लास, स्वस्थ हो सबका तन-मन॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’