लालचन्द्र यादव
आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश)
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मिट्टी जिसने,सींच-सींच कर,
हरियाली फैलायी।
अरे! आज क्यों सुबह उसी ने,
सूखी रोटी खायी ?
ठंडी कारों में चलते,
सब लेते हैं अंगड़ाई।
इनको न मिल पाती देखो,
टूटी-सी चारपाई!
गिरगिट जैसे रंग बदलकर,
नेता चलते भाई।
कहने को सब सस्ता लेकिन,
बढ़ी खूब मंहगाई।
अब जमीन पर सोई देखो,
रोती बूढ़ी माई।
अरे!आज क्यों सुबह उसी ने,
सूखी रोटी खाई।
प्रेमचन्द के होरी,धनिया,
माथा पीटे रोते,
नेता अलमस्ती में डूबे,
सब ए.सी. में सोते।
सबके साथ विकास सभी का,
शरबत दिया पिलाय।
और मंगरू ने आज तलक,
न कोई नौकरी पायी।
अरे! आज क्यों सुबह उसी ने,
सूखी रोटी खाईll
परिचय–लालचन्द्र यादव का साहित्यिक उपनाम-चन्दन है। जन्म तारीख ५ अगस्त १९८४ और जन्म स्थान-ग्राम-शाहपुर है। फिलहाल उत्तरप्रदेश के फरीदपुर बरेली में रहते हैं, जबकि स्थाई पता जिला आम्बेडकर नगर है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक(बरेली)का है। इनकी लेखन विधा-गीत,गजल,मुक्त कविता आदि है। रचना प्रकाशन विविध पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को दिशा देना है। आपके प्रेरणा पुंज-गुरु शायर अनवर जलालपुरी हैं। एम.ए. (हिंदी) बी.एड. शिक्षित श्री यादव को हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। रुचि-कविता लेखन,गीत गाना है।