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मेरी चाह

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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ज्यादा चाह नहीं है मेरी,
केवल सच्चा प्यार चाहता
मानवता को आँच न आए,
बस इतना आधार चाहता।

बापू, तुलसी, या कबीर का,
निर्मल मार्ग जहां बसता हो
जाति, पंथ, पाखंडवाद भी,
डर कर बहुत दूर रहता हो।
पंच तत्व के मर्म ज्ञान का,
हो प्रकाश यह सार चाहता।
मानवता को आँच न आए….॥

पूज स्वयं हाथों से नरता,
सच्चाई की ज्योति जगाए
भगत सिंह, बिस्मिल, सुभाष-सा,
मातृ भूमि हित दांव लगाए।
राम राज्य का घाट जहां हो,
केवल वही कगार चाहता।
मानवता को आँच न आए…॥

राणा जैसे शासनकर्ता,
जो चेतक की ऐड़ लगाए
वीर शिवाजी से जननायक,
राष्ट्र धर्म हित प्राण गवाएं।
मानव का, मानव जीवन में,
मानवीय व्यवहार चाहता।
मानवता को आँच न आए…॥

धर्म राज्य के सत्य, शील का,
पावन पंथ जहां मिलता हो
सुख सूरज के आ जाने से,
दु:ख रूपी तम मिट जाता हो।
निर्धनता के घाव भरे जो,
ऐसी मैं सरकार चाहता।
मानवता को आँच न आए…॥

जन-जीवन के चित में छाई,
जहरीली आंधी ईर्ष्या की
तपता मानव मन प्यासा है,
टूटी आस सलिल वर्षा की।
उर के हर सूखे मरुथल हित,
स्नेह-सिक्त बौछार चाहता।
मानवता को आँच न आए…॥

जन्मभूमि पर निश्छल श्रृद्धा,
वंदन, अर्चन, आराधन हो
कुर्बानी की, बलिदानों की,
गाथाओं का सद वाचन हो।
भारत की महिमा का हिमगिरि,
जैसा मैं विस्तार चाहता।
मानवता को आँच न आए…

क्षमा, दया, करुणा, ममता का,
सिंधु जहां पर लहराता हो
स्वच्छ, सादगी, सज्जनता का,
भाव सदा ही गहराता हो।
कुटिल नजरिया नष्ट करे जो,
ऐसा उचित विचार चाहता।
मानवता को आँच न आए…॥

पीड़ाएं जग की पीने को,
हृदय हमेशा अकुलाता हो
सत्कर्मों का दीप जहां पर,
मन मंदिर में जल जाता हो।
काम, क्रोध, मद, अहंकार से,
मुक्ति हेतु पतवार चाहता।
मानवता को आँच न आए,
बस इतना आधार चाहता…॥

परिचय–रायपुर में बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत अमल श्रीवास्तव का वास्तविक नाम शिवशरण श्रीवास्तव हैl `अमल` इनका उपनाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैl अमल का जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैl आपने गणित विषय से बी.एस-सी.की करके बैंक में नौकरी शुरू कीl ३ विषय (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैl रामायण विशारद की भी शिक्षा प्राप्त की है,तो पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैl भारतीय संगीत में आपकी रूचि है,इसलिए संगीत में कनिष्ठ डिप्लोमा तथा ज्योतिष में भी डिप्लोमा प्राप्त किया हैl सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में खजांची, सहायक प्रबंधक,प्रबंधक आदि पदों पर काम कर चुके श्री श्रीवास्तव का वर्तमान में एम.बी.ए. जारी है,जबकि पीएच.-डी. में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। शतरंज के उत्कृष्ट खिलाड़ी,वक्ता और कवि श्री श्रीवास्तव कवि सम्मलेनों-गोष्ठियो में भाग लेते रहते हैंl मंच संचालन में महारथी अमल जी की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैl देश के नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंl रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैl विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े होकर प्रांतीय पदाधिकारी भी हैंl गायत्री परिवार से भी जुड़े होकर कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैंl महत्वपूर्ण उपलब्धि आपके प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म. प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन सहित राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना हैl

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