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परम्परा और संस्कृति का रंग खेलें

प्रो. लक्ष्मी यादव
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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जीवन और रंग…

जीवन में रंग का होना बहुत जरूरी है। रंग खुशी और आनंद का प्रतीक है, जो हर एक मनुष्य अपने जीवन में उतारना चाहता है। खुशियाँ किसी भी रूप में आए, उसे अपने हाथ-जीवन से जाने नहीं देना चाहिए। छोटी से छोटी खुशियों को बटोरने का आनंद कुछ भिन्न होता है। आज भी घरों में यदि कोई नई वस्तु आती है या किसी की वर्षगाँठ हो, कोई अफसर बना, अच्छी नौकरी मिली आदि पर मध्यमवर्गीय परिवार खुशियाँ मनाता है, मिठाई वितरित की जाती है।
जीवन में रंग भरने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं हमारे भारतीय त्यौहार, जो प्रति वर्ष, माह किसी न किसी रूप में अलग- अलग अंदाज में आते हैं, चाहे वह मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, गणेशोत्सव, दीपावली, ईद या होली हो, सभी में रंग भर देते हैं। भारतीय संस्कृति में त्यौहारों का अपना एक विशेष महत्व है। आज हमारी संस्कृति जीवित है तो, वह हमारे भारतीय त्योहारों के कारण है। आज भी कई युवा, बच्चे रोज नहीं तो कम से कम त्योहारों के ही बहाने से, लेकिन अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करते हैं, आशीर्वाद लेते हैं और अपनी संस्कृति से परिचित होते हैं।
सभी त्योहारों में से एक त्यौहार है होली, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन अलग-अलग प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। चारों तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ और रंग बिखरे होते हैं। यदि आप कहीं जा रहे हैं और आपको राह में किसी बच्चे ने रंग डाल दिया तो, गुस्सा न करें बल्कि आपको एक छोटी-सी हँसी के साथ उसका शुक्रिया करना चाहिए कि, उस नन्हें से बालक ने अपनी भारतीय संस्कृति को अब तक जीवित रखा है।
आजकल बच्चों के साथ हर उम्र के लोगों का आडियो, विजुअल कॉन्टेस्ट बहुत ज्यादा बढ़ गया है। मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, ईयर पैड से लेकर तमाम तरह के डिजिटल उपकरण से मानवीय भावनाएँ तेजी से प्रभावित हो रही है। विशेष रूप से इसका प्रभाव बच्चों के कोमल मन पर पड रहा है। यदि बच्चे कहें कि हमें रंग खेलना है तो माता-पिता उसका सहयोग करें। उसके साथ खेलें और उसे भी खेलने दें। उसको सोशल मीडिया से बाहर निकालें, अपनी भारतीय संस्कृति और सभ्यता से परिचित कराएं। उसके महत्व को बताएं और जताएं-
होली का त्यौहार है आया,
रंगों की बहार है लाया
त्योहारों की देन है,
जो संस्कृति में जान है।

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