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लगातार प्रयासों से ही हमारा देश कहलाएगा विश्व गुरु

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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स्वतंत्र देश और हमारी जिम्मेदारियाँ…

हमारे देश की स्वतंत्रता हमें विरासत में नही मिली। यह स्वतंत्रता सैंकड़ों वर्षों की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए, भारत के निडर वीर- वीरांगना, सत्याग्रहियों, जनता द्वारा अनेक लड़ाईयों, कठिनाइयों, यातनाओं, संघर्षों की, लाखों बलिदानियों की कहानी है। उनके देशव्यापी स्वतंत्रता का एक ही लक्ष्य आंदोलन उनकी एकता तप त्यागों की नींव पर ही १५ अगस्त १९४७ के सुनहरे ऐतिहासिक दिवस को माँ भारती के मस्तिष्क पर गौरवमई ताज सजा। इसी दिन हमारे लाल किले पर स्वतंत्र भारत का तिरंगा अभिमान से लहराया गया और ७६ साल से गौरव से लहरा रहा है। यह हम सबके लिए परम सौभाग्य की बात है। स्वतंत्रता के बाद देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए भारत का संविधान लिखा गया और २६ जनवरी को पारित किया गया। और हम सभी भारतीय बडे़, बूढ़े, बच्चे देशभर में हर वर्ष अपने देश का स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मंगलमय उत्सव की तरह मनाते हैं। हमारा देश, हमारा तिरंगा हमारा स्वाभिमान है।

स्वतंत्रता के ७६ वर्ष बाद यदि हम गहन अवलोकन करें तो इन बीते वर्षों में देश में शनै- शनै अनेक प्रगतिशीलता आई है। विशेषकर गत १० वर्ष में यातायात में सुधार के तहत पूरे देश में सड़कों के विस्तार से देश के विकास की गति बढ़ी है। रेल यात्रा में सुधार के साथ बुलेट ट्रेन का आगमन एक अच्छी पहल है। राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय विमान सेवाओं का विस्तार हुआ है। भारत की गरिमामय सुंदर भूमि पर पर्यटन भी बढ़ा है।
शिक्षा संस्थानों का विस्तार एवं नीतियों में सुधार, विभिन्न तरह की तकनीकी शिक्षा का आगमन और शिक्षा का स्तर भी बढ़ रहा है। भारत के युवा विदेशों में वैज्ञानिक, कम्प्यूटर, चिकित्सकीय पेशे में अपनी कुशलता और गरिमा की धाक बनाए हुए हैं। नेट की सेवाओं ने कार्य के नए आयाम दिए हैं। घर-घर में शौचालय सुविधाओं का कार्य चल रहा है। बिजली-पानी की भी सुविधाएं देने का कार्य हुआ और हो रहा है। वर्तमान में युवा पीढ़ी खेल-कूद में आगे बढ़ रही है। भारत की सुरक्षा के लिए जल, थल, वायु की सेना का सामर्थ्य और सुविधाएं बढ़ी हैं, एवं लगातार सुधार पर है। महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, देश का गौरव बन रही हैं, पर अभी और आगे चलना है। ‘बालिका बचाओ, बालिका पढ़ाओ’ को और आगे बढ़ाना है। एक सही शिक्षित माता घर, परिवार, समाज देश की प्रगति में बड़ी भूमिका निभाती है।
अब भारत के जनों में, जीवन शैली में इजाफे के साथ लोगों में खर्च करने का सामर्थ्य बढ़ गया है। सरकार में भी भ्रष्टाचार की कमी नजर आ रही है। ऐसी कई सकारात्मक सुंदर स्थितियाँ दिख रही हैं।
हाल में ही विश्वव्यापी ‘कोविड’ के भीषडण प्रकोप को विभिन्न कठिनाइयों के वावजूद भी भारत की चिकित्सा सेवा, पैरामेडिकल, वैज्ञानिकों ने बड़ी परेशानियों के वावजूद भी जमकर इसका सामना किया। लाखों जनों की जीवन रक्षा की और प्रचुर मात्रा में कोविड टीके बनाए गए एवं जनता को दिए गए। हमने विदेशों को भी टीके देकर मदद की। इस तरह की मदद से विभिन्न देशों से अच्छे संबंध बने हैं। भारत की नई विदेश नीतियों से भी हमारे देश का विश्व पटल पर उत्तम नाम हुआ है।
२०२३ में हमारे वैज्ञानिकों ने चाँद पर ‘प्रज्ञान’ का सफल ठहराव करवाया और भारत का तिंरगा झंडा फहराकर कीर्तिमान स्थापित किया है। अभी हमारे भारत देश की पुण्य भूमि प्रभु राम की जन्मभूमि अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा बहुत ही हर्ष- उल्लास और श्रद्धा-विश्वास से की गई। हम भारतीयों के ५०० वर्षों के संघर्ष, दृढ़ संकल्प, प्रतीक्षा और निष्ठा का आदर्श स्वरूप सारे विश्व ने देखा। यह हम सबके चक्षु और मस्तिष्क में अटल अंकित रहेगा। यह परम सौभाग्य ही है।
संविधान के अनुसार हम-सब भारत के स्वतंत्र नागरिक हैं और हमारे अधिकार भी हैं, पर स्वतंत्रता और अधिकार का अर्थ क्या है ? क्या हम देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सतर्क हैं ? क्या हम जिम्मेदारियों को निभाते हैं ?, क्योंकि ऐसे विभिन्न सुंदर कार्यों और प्रगतिशीलता के बावजूद हम सही प्रगति और सुख संपन्नता तक नहीं पहुँच पा रहे हैं।इसके कारण का विश्लेषण करना और कमियों को दूर करना भी हमारा कर्तव्य है।
हम सबको स्वच्छ भारत के अभियान में अपनी भूमिका समझनी चाहिए, और पूरा सहयोग करना चाहिए। सरकार द्वारा शौचालय बनाने पर उसका उपयोग करें , बाहर गंदगी फैलाने में रोक जरूरी हैं। हम सब नदी, जल, प्रकृति की रक्षा का कर्म में सहायक हों।
समय परिवर्तनशील रहता है। वर्तमान कलयुग में भौतिकता सर्वोपरि है, जिसके लिए छल प्रपंच, अपशब्द, क्रूरता, विवाद, अति स्वार्थ भरे कार्यों आदि को ही लोग जीवन के सुख का साधन और उपाय समझते हैं। दूर-दूर तक जो नकारात्मकता फैली हुई हैं। क्षणिक सुख की कामना या अहंकार आदि हिंसा और दुष्कर्म को जनम देता है। इसी कारण नहीं चाहते हुए भी सामाजिक संतुलन डगमगाते रहता है।
हमें अनेक विकृत विचारों को देश में रोग जैसे फैलने से रोकना है। तो क्या यह १ दिन, १ वर्ष या कुछ वर्षों में संभव है, कदापि नहीं…। यह किसी एक व्यक्ति विशेष का कर्तव्य भी नहीं है, बल्कि हम सभी नागरिकों का है। हमारे देश की संस्कृति उत्कृष्ट है। विश्व में हमारे भारत का नाम आदर से लिया जाता है। लोग समझने लगे हैं कि, विश्व में शांति प्रगति के लिए भारतीय साहित्य संस्कृति परंपरा एक उत्तम उदाहरण है, और इस आधुनिक प्रगति के काल में हम भारतीय पीछे नहीं हैं। हमारी अपनी विशेषताएं हैं, जिनको समझना और सुचारू रूप से संचारित करना नागरिकों का कर्तव्य है। हमें बालिकाओं, लड़कियों, स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार, हिंसा को रोकना होगा।
उचित शिक्षा और संस्कार ही उत्तम समाज की नींव होती है। जब एक स्त्री शिक्षक होती है, तो पूरा परिवार शिक्षित होता है।
हम देशवासियों का कर्तव्य है कि, हम केवल राम राज की बातें ही ना करें, बल्कि प्रगतिशीलता के साथ आपस में स्नेह, सौहार्द, सत्यता, सात्विकता, सहिष्णुता, एकता संग परस्पर आदर को बनाए रखें। कुमतियों को हटाएं, कुरीतियों, कुप्रथाओं को त्यागें और सुंदर संस्कृतियों को संवारें। घर-घर शिक्षा को बढ़ाएं, हम कर्मशील बनें। जन-जन में जागरूकता का संचार हो। हम मंथन-मनन करें। हम सही नायकों के विचारों को समझें और सहयोग दें। हम अपने भारत के भविष्य युवा पीढ़ी में सुंदर भावों को जागरूक करें। हम विश्व में उदाहरण बनें। देश में सौहार्द की स्थापना के लिए यह पहला पग होगा, यही हमारी नींव होगी। मानव जीवन में संपत्ति का वास्तविक अर्थ है, प्रेम, स्नेह, आदर, सम्मान, सुरक्षा, धन, पैसा, उत्तम स्वास्थ्य, सुविचार, शिक्षा संग प्रगति की ओर बढ़ते कदम।
हम पश्चिमी देशों के लोगों की सुंदर संदेश ‘समय का महत्व और सही सुंदर अनुशासन शीलता’ की आदत को ना समझते हैं और ना अपनाते हैं। हम अपने देश की और जनता की संपत्ति का अनादर क्यों करते हैं ?
हम आधुनिकता के भंवर में सही जीवन मूल्यों को जो भूलते जा रहे हैं। हमारी गरिमापूर्ण प्रगति के लिए हम कुरीतियों का त्याग और जीवन के सही मूल्यों को समझते हुए हम सदाचार का पालन करें। सही और गलत का अर्थ समझें। उचित कर्म में सहयोग करें। अपने भारत के लिए अपनी आजादी के महत्व को समझे और गरिमा के लिए में हम संकल्प लें कि, हम सब भारत के सही उत्थान और प्रगति और रक्षा को अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे और भारत की आनेवाली पीढ़ी के लिए नए सुंदर सुरभित सुखी संपन्न स्वतंत्र भारत की धरती और आकाश और देंगें। हम भावी पीढ़ी को स्वतंत्रता के मूल्य से अवगत कराएंगे, उसका महत्व बताएं। हम बंट कर आगे नहीं जा सकते। हम सही मार्ग पर एकजुटता की मिसाल बनें।
जब परिवार एकजुट रहता है, तो संभला रहता है, उसी तरह देश भी है। हम हमारी पीढी़ को पुरातन और उत्कृष्ट संस्कृति महत्व बताएंगें और आदर सहित प्रगतिशील सुंदर रामराज्य जैसी विरासत देंगे। भारत में शुभता और सुमति सबके लिए समान हो।अपने देश के भविष्य के लिए, अपनों के लिए अपनी अनमोल स्वतंत्रता का उत्सव मनाएं। ऐसे लगातार प्रयासों से सही अर्थों में हमारा देश विश्व गुरू कहलाएगा। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।

हम गर्व से कहें ‘हम स्वतंत्र भारत के भारतवासी हैं।’ हमारा अभिमान तिंरगा विश्व पटल पर स्वतंत्रता की गरिमा से अटल लहराता रहे। हम मिसाल बनें। जय हिंद जय भारत…।

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है