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लेखिका चकित करती है विषयों की विविधता से-डॉ. दवे

विमोचन…

इंदौर (मप्र)।

लोक व भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों को सहेजते हुए अपनी विलक्षण लेखन शैली व विषयों की विविधता से लेखिका चकित करती है। सामान्य वस्तुओं पर ऐनक जैसी वस्तु पर दर्शन का विस्तार उन्हें कुशल लेखिका बनाता है।
वामा साहित्य मंच के बैनर तले इंदौर प्रेस क्लब में लेखिका गरिमा संजय दुबे के ललित निबंध संग्रह ‘समर्पयामि’ का लोकार्पण करते हुए यह बात मुख्य अतिथि बतौर साहित्य अकादमी मप्र के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कही। इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार नर्मदाप्रसाद उपाध्याय, साहित्यकार पंकज सुबीर व लेखिका ज्योति जैन भी उपस्थित रहे।
श्री उपाध्याय ने विधा आधारित वक्तव्य में कहा कि, ललित निबंध व्यक्ति व्यंजक निबंध का एक हिस्सा है। विधा में पारंगत होने के लिए कला मर्मज्ञ होना आवश्यक है। ज्योति जैन ने कहा कि इन दिनों जब भाषा में लालित्य खो सा गया है, ऐसे समय में ललित निबंध की रचना का स्वप्न देखना ही एक दुस्साहस है। गरिमा ने न सिर्फ यह स्वप्न देखा, बल्कि उसे पूरा भी किया।
आत्मकथ्य में गरिमा दुबे ने कहा कि जीवन केवल दुःख का आख्यान नहीं, सुख का आलेख भी है। मैंने लालित्य के लाल, पीले, हरे, नीले रंग बिखेरने का प्रयास किया है।