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आती खुशियाँ रोज

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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देते हैं उपहार जी,मिलकर सबको आज।
धनतेरस के पर्व में,पूरे करते काज॥
पूरे करते काज,घरों में दीप जलाते।
आती खुशियाँ रोज,सभी त्यौहार मनाते॥
करे साज श्रृँगार,नये कपड़े हैं लेते।
करते आतिशबाज,बधाई सबको देते॥

करते पूजा पाठ जी,मिलकर के परिवार।
हाथ जोड़ विनती करे,आये खुशी अपार॥
आये खुशी अपार,चरण में शीश झुकाते।
दीप जलाते रोज,मातु की मूरत लाते॥
करे आरती लोग,दिलों में खुशियाँ भरते।
आती लक्ष्मी द्वार,सभी पूजा हैं करते॥

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