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शरणार्थी

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष………..


मैं शरणार्थी हूँ,
तेरे दर पर आया हूँ
थोड़ी सी जगह दे दो,
यह विनती करता हूँ।

मेरा घर-द्वार छूट गया,
मैं हाथ जोड़ता हूँ
मुझे अपना लो तुम,
यह विनती करता हूँ।

सब-कुछ मेरा छूट गया,
नाते-रिश्ते रूठ गए
मेरे पास कुछ नहीं बचा,
मुझे अपना लो तुम
यह विनती करता हूँ।

देश मेरा छूट गया,
सपना मेरा टूट गया
क्या करूं मैं अब,
कुछ समझ नहीं आता
भगवान भी मुझसे रूठ गया,
मुझे अपना लो तुम
यह विनती करता हूँ॥

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।

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