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शहीदों को नमन

वन्दना शर्मा
अजमेर (राजस्थान)

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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….


आज लेखनी तड़प उठी है,
भीषण नरसंहार देखकर।
क्रोध प्रकट कर रही है अपना,
ज्वालामुखी अंगार उगलकर।

दवात फोड़कर निकली स्याही,
तलवारों पर धार दे रही।
कलम सुभटिनी खड्ग खप्पर ले,
रणचण्डी सम हुँकार दे रही।

जीभ प्यास से लटक रही,
बैरी का शोणित पीने को।
भाला बनकर आज भेद दूँ,
आतंकी के सीने को।

अबकी होली में आतंकी,
को होलिका बनाउंगी।
फिर से सुत प्रह्लाद की खातिर,
बैरी चिता सजाऊँगी।

बनूँ कृष्ण गाण्डीव उठाऊँ,
अब तो बस प्रतिकार चाहिए।
नापाक इरादे दुर्योधन का,
कलयुग में संहार चाहिए।

न देखो बाट इशारे की,
सत्ता क्या निर्णय लेगी।
सब राजनीति की मिलीभगत,
बन मूक चूड़ियाँ पहन लेगी।

शंखनाद कर बिगुल बजाकर,
रणभेरी मैं बन जाऊँगी।
बनकर बरछी ढाल कटारी,
दुश्मन को मजा चखाऊँगी।

कसम है उसके घर में घुसकर,
शीश हाथ से काटूँगी।
मुण्ड माल को पहन गले में,
भैरवी बनकर नाचूँगी।

देखकर मेरा भीषण ताण्डव,
जर्रा-जर्रा थर्राएगा।
युगों-युगों तक पाकिस्तान भी,
वन्दे मातरम गायेगाll

परिचय-वंदना शर्मा की जन्म तारीख १ मई १९८६ और जन्म स्थान-गंडाला(बहरोड़,अलवर)हैl वर्तमान में आप पाली में रहती हैंl स्थाई पता-अजमेर का हैl राजस्थान के अजमेर से सम्बन्ध रखने वाली वंदना शर्मा की शिक्षा-हिंदी में स्नातकोत्तर और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी के लिए प्रयासरत होना हैl लेखन विधा-मुक्त छंद कविता हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य- स्वान्तःसुखाय तथा लोकहित हैl जीवन में प्रेरणा पुंज-गुरुजी हैंl वंदना जी की रुचि-लेखन एवं अध्यापन में है|

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