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सतर्क रहें, मंगलमय बनाएं रंगपंचमी

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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हमने होली की भक्ति, उल्लास में २ बड़ी दुर्घटनाएं घटित होते देखी, एक विश्वविख्यात उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में और दूसरी इंदौर के जगप्रसिद्ध खजराना गणपति मंदिर के गर्भगृह में, जहां होली खेलते हुए रसायनयुक्त गुलाल उड़ाने से आग लगी, जिसमें पुजारी और भक्तों के झुलसने की खबरें सामने आई है। यह घटना बहुत दुखद है, पर यह संकेत है कि अत्यधिक भक्ति, उत्साह में भगवान के साथ मनमाने रंगों वाली, भीड़ वाली होली मत खेलो। अप्राकृतिक रंगों का प्रयोग तो यही सब करवाएगा। हमें आगे सतर्क रहने की आवश्यकता है, और इंदौरवासी तो होली से ज्यादा रंगपंचमी को जोर-शोर से मनाते हैं। होली रंगों से ही नहीं, खुशियों से सराबोर हो जाने का भी पर्व है। इंदौर की होली से ज्यादा रंगपंचमी की अपनी रंगीनीयत है। रंगपंचमी को पौराणिक रूप से समझें तो यह होली का सूतक समाप्त होने, देवी-देवताओं को रंग अर्पण करने, इस दिन श्रीकृष्ण द्वारा श्री राधा को रंग लगाने और श्री अर्थात् लक्ष्मी, शुभता के आगमन के लिए मनाया जाता है। इस पंचमी पर रंग लगाने का नहीं उड़ाने का महत्व है, इसलिए होली के बाद रंगपंचमी त्योहार महत्वपूर्ण है। इंदौर का तो रंगपंचमी मनाने का अपना ही तरीका है, जो गैर निकालकर द्विगुणित फाग उत्सव के रूप में शहर की प्रमुख सड़कों सहित कई जगहों पर भ्रमण कर मनाया जाता है। गैर में रंग-गुलाल उड़ाते हुए तेज संगीत, पानी की बौछार आदि से हर्षोल्लास दर्शाया जाता है। इस बार तो रंगपंचमी पर ज्यादा भीड़ होने की संभावना है, क्योंकि मंडल की परीक्षाएं निपट चुकी है। ऐसे में इंदौरवासियों को रंगपंचमी खुशी और एहतियात के साथ मनानी चाहिए, जिससे रंगपंचमी के बाद स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचाव हो।

रंगपंचमी पर बहुत रंग उड़ाए जाते हैं, जो सीधे श्वाँस के जरिए अंदर जाते हैं। दूसरा टैंकरों के जरिए जो रंगों का पानी उड़ाया जाता है, उसके भी नाक-कान-मुँह में जाने की संभावना रहती है, जिससे अक्सर कान-नाक-गले के रोग उभरते हैं। पिचकारी से रंग डालने के साथ एक-दूसरे पर गुब्बारे, पोलिथीन आदि फेंकने से चोट लगने की संभावना बनी रहती है, वहीं रसायन युक्त, नुकसानदायक पक्के रंग लगाने से भी जन आपस में गुरेज नहीं करते, जो त्वचा संबंधी रोग पैदा करते हैं। दूसरी ओर भांग, नशीले पदार्थ खाकर भी लोग गैर जैसी सार्वजनिक जगह में सम्मिलित होते हैं, जिससे रंग में भंग पड़ने की संभावना बनी रहती है। इसके बचाव के लिए त्वचा पर तेल, वैसलीन जैसी चीजें लगाकर होली खेलने का प्रयास करें। रसायनयुक्त और अप्राकृतिक रंगों का प्रयोग नहीं करें तो अच्छा होगा। गुब्बारे, थैली, कीचड़ आदि से बचना चाहिए और नशीले पदार्थ सेवन न करें। याद रखिए, छोटी-छोटी सावधानी और प्रकृति के लिए थोड़ा-सा चिंतन कर हम रंगपंचमी मनाएं तो स्वच्छता व स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बगैर होली सबके लिए सुखद, हर्षोल्लास के साथ मंगलमय होगी। तो फिर हम सब ध्यान रखेंगे ना। सबको रंगपंचमी की आनंदमयी शुभकामनाएं।