हैदराबाद (तेलंगाना)।
सभी भाषाएँ महत्वपूर्ण हैं। भाषा के बिना कोई कार्य संभव नहीं है। कोई भी विषय पढ़ने के लिए भाषा योगदान महत्वपूर्ण है। सभी भाषा के अध्यापकों पर बहुत बड़ी जबाबदारी है। अपने-आपको हमेशा अद्यतन रखिए।
यह बात शिक्षा विभाग के निदेशक और मुख्य अतिथि डॉ. शैलेश झिंगडे ने संबोधित करते हुए कही। अवसर रहा केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा) के हैदराबाद केंद्र द्वारा गोवा राज्य के माध्यमिक विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए एससीईआर टी (गोवा) में ४६४वें नवीकरण पाठ्यक्रम के आयोजन का। इस पाठ्यक्रम में ८७ हिंदी अध्यापकों ने पंजीकरण तथा प्रतिभागिता की। इस दौरान क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के साथ अतिथि अध्यापक पंकज सिंह यादव व डॉ. संध्या दास ने कक्षाध्यापन कार्य किया। पाठ्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों से हस्तलिखित पत्रिका ‘गोमांत संहिता’ की रचना करवाई गई। अंत में पर-परीक्षण लिया गया। इसमें प्रथम पुरस्कार चैताली हरमलकर, द्वितीय पुरस्कार राजश्री गोसावी तथा तृतीय पुरस्कार सोनिया देसाई को प्राप्त हुआ। पाठ्यक्रम के समापन समारोह की अध्यक्षता डॉ. वानोडे ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में एससीईआरटी गोवा के समन्वयक डॉ. गोपाल प्रधान रहे। डॉ. वानोडे ने अतिथियों का स्वागत किया तथा परिचय दिया। इस दौरान प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम पर स्वरचित कविता पाठ, देशभक्ति गीत तथा लोकनृत्य प्रस्तुत किया।
डॉ. प्रधान ने कहा कि, जो प्रशिक्षण प्राप्त किया है, उसे निरंतर अभ्यास द्वारा और परिमार्जित करें। प्रतिभागियों को अतिथियों ने पुरस्कृत किया। तत्पश्चात प्रमाणपत्रों का वितरण किया गया। समारोह का संचालन हिंदी अध्यापक वामन धारवाडकर व श्रीमती अनुपा भगत द्वारा किया गया।