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`सेक्शन ३७५` मर्जी या ज़बरदस्ती

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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निर्देशक बहल ने इस फिल्म में जटिल विषय बलात्कार का सटीक चित्रण किया हैl
#मुख्तसर चर्चा
दोस्तों, सेक्शन ३७५ फिल्म का विषय बेहद संवेदनशील होने के साथ भावनात्मक भी हैl इंडियन पैनल कोड की यह धारा ३७५ लैंगिक अपराध के संदर्भ में ही रखी गई हैl यह एक वीभत्स अपराध है,जो महिलाओं के शरीर और आत्मा के विरूद्ध किया जाता हैl इस अपराध को हमारे मुल्क में इज़्ज़त से जोड़कर माना जाता हैl इस अपराध में किसी महिला की इच्छा के खिलाफ केवल शारीरिक शोषण ही नहीं,वरन उसकी आत्मा और चेहरे की मुस्कान तक छिन्न-भिन्न कर दी जाती है,और पुरुष प्रधान समाज में यह अपराध विश्वव्यापी होते आ रहे हैंl जब कुदरत ने पुरुष को जिस्मानी तौर पर औरत से ज्यादा ताकत दी है,तो वह औरत पर गलबा हासिल करने के लिए नहीं है,औरत को सुरक्षा,संरक्षण देने के लिए दी है,लेकिन कोई मर्द औरत की अज़मत छिन्न-भिन्न करे तो उसे सजा मिलनी ही चाहिएl इसी अपराध के लिए इंतज़ाम किया गया है भारतीय दंड संहिता की धारा ३७५ मेंl
#कहानी
अंजली (मीरा चोपड़ा) फ़िल्म निर्माण में लगे वेषभूषा दल के सहायक (कॉस्ट्यूम जूनियर असिस्टेंट)के रूप में काम करती हैl एक शाम वह फ़िल्म के निर्देशक रोहन खुराना(राहुल भट्ट)के घर पर ड्रेस दिखाने जाती हैl शाम को पोलिस स्टेशन पर अंजली द्वारा बलात्कार की रिपोर्ट लिखा दी जाती हैl शेषन न्यायालय से फ़िल्म निर्देशक रोहन खुराना को १० साल की सज़ा सुना दी जाती हैl फिर मामला उच्च न्यायालय पहुँचता है,जहां रोहन के प्रकरण को लड़ने के लिए बेहद काबिल वकील तरन सलूजा(अक्षय खन्ना) आते हैं,वहीं अंजली के लिए सरकारी वकील हिरल गांधी(ऋचा चट्ठा) आती हैl फिर शुरू होता है कोर्ट रूम में ड्रामाl दोनों पक्षों की अपनी-अपनी दलीलें,और कहानियां,बेहद संजीदा अंदाज में होते हुए फ़िल्म आगे बढ़ती हैl मर्जी या जबरदस्ती पर होते हुए फ़िल्म अंत पर पहुँचती हैl अंत में कौन जीतता है,कौन हारता है ये जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगीl
#अदाकारी
अक्षय ने जिस सफाई से वकील के किरदार को जीवंत बनाया है,वह क़ाबिले गौर हैl ऋचा तो अभिनय में पारंगत होने की उपाधि लिए बैठी हैl दोनों की भाषा शैली और संवादों की पुख्ता पकड़ के साथ अभिनय भी शानदार कर गए हैंl जज के किरदार में किशोर कदम का काम छोटा है, परन्तु उपस्थिति माकूल दर्ज करा गए हैंl मीरा चोपड़ा खुद के संवादों पर तो अभिनय करती लगी परन्तु,दूसरों के संवादों पर प्रतिक्रिया पर असफल मानी जाएगीl रोहन भट्ट को जितना मिला,बेहतर निभाया हैl
#क्यों देखें फ़िल्म
बॉलीवुड में अब तक का सबसे शानदार कोर्ट रूम ड्रामा,पटकथा,संवाद आपको तालियाँ पीटने के लिए मजबूर कर सकता हैl फ़िल्म दृश्य दर दृश्य पकड़ मजबूत करती जाती हैl फ़िल्म में कुछ संवादों से पार्श्व संगीत नहीं रखा गया,जो सुखद और माकूल लगता हैl इसमें कोई जगह नहीं है गानों के लिए,लेकिन फ़िल्म अपनी मज़बूत पकड़ ढीली नहीं छोड़ती हैl
#कमी जो खली
फ़िल्म की शुरूआत में जो कोर्ट रूम ट्रायल दिखाया गया,उसमें अत्यधिक कानूनी भाषा का इस्तेमाल खलने लगता हैl
#आखिर में
देश ने कोर्ट रूम ड्रामा पर कई फिल्में देखी हैं,जिसमें हालिया फ़िल्म पिंक भी शामिल है,लेकिन यह फ़िल्म अधिक मजबूती के साथ कोर्ट रूम ट्रायल को पेश करती हैl देश में लगभग कानून महिला सुरक्षा और संरक्षण के लिए बनाए गए हैं,लेकिन इन कानूनों का गलत इस्तेमाल पुरुषों के विरुद्ध भी हो सकता हैl बलात्कार का नाम आते ही हम पुरुष को राक्षस मान कर चलने लगते हैं,जो गलत हैl यह फिल्म आज तक के कोर्ट रूम ड्रामा की सबसे उपयुक्त फ़िल्म हैl
#फ़िल्म को क्या
इस फिल्म को ४ अंक-सितारे देना श्रेष्ठ रहेगाl

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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