कृष्ण कुमार कश्यप
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)
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हिंदी दिवस स्पर्धा विशेष………………..
अंतर्मन की आवाज हिन्दी,
प्रकृति का अनुराग हिन्दी।
हिन्दुस्तान की शान हिन्दी,
कलमवीरों का मान हिन्दी।
हम सबका अभिमान हिन्दी,
शहीदों का बलिदान हिन्दी।
संस्कृति की पहचान हिन्दी,
देश का स्वाभिमान हिन्दी।
मजदूरों की मेहनत हिन्दी,
धनवानों की शोहरत हिन्दी।
किसानों का पसीना हिन्दी,
सैनिक चौड़ा सीना हिन्दी।
झरझर बरसता सावन हिन्दी,
गीता,कुरान-सी पावन हिन्दी।
सुहागिनों का सावन हिन्दी,
गंगा जल-सी पावन हिन्दी।
नदी,झरना कल-कल हिन्दी,
महकता फूल हर पल हिन्दी।
मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारा हिन्दी,
गिरजाघर जैसी प्यारी हिन्दी।
गर्व देश का,राष्ट्रगान हिन्दी,
देह के लिए जैसे जान हिन्दीll
परिचय-कृष्ण कुमार कश्यप की जन्म तारीख १७ फरवरी १९७८ और जन्म स्थान-उरमाल है। वर्तमान में ग्राम-पोस्ट-सरगीगुड़ा,जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़) में निवास है। हिंदी, छत्तीसगढ़ी,उड़िया भाषा जानने वाले श्री कश्यप की शिक्षा बी.ए. एवं डी.एड. है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक (नौकरी)होकर सभी सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी और लघुकथा है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य ग़ौरव सम्मान-२०१९, अज्ञेय लघु कथाकार सम्मान-२०१९ प्रमुख हैं। आप कई साहित्यिक मंच से जुड़े हुए हैं। अब विशेष उपलब्धि प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले कृष्ण कुमार कश्यप की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिंदी लेखक- मुंशी प्रेमचंद हैं तो प्रेरणापुंज-नाना जी हैं। जीवन लक्ष्य-अच्छा साहित्यकार बनकर साहित्य की सेवा करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“मेरा भारत सबसे महान है। हिंदी भाषा उसकी शान है।”