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हिंदी भारत माँ की बिंदी है

सुबोध कुमार शर्मा 
शेरकोट(उत्तराखण्ड)

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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


यह कैसी शर्मिन्दी है,
हिंदी भारत माँ की बिंदी है।

अपनी ओर निहारो तुम,
इसको जरा सँवारो तुम।
भारती का सौंदर्य है यह,
इसकी जग में बुलन्दी है॥
हिंदी भारत माँ…

सरल विमल है जिसकी छवि,
ज्योतिर्मय हो जैसे रवि।
प्रकाश पुंज है भावों का,
मर्यादा की हदबंदी है॥
हिंदी भारत माँ…

मानवता का गौरव है,
भारत माँ का वैभव है।
कविता की वाणी है यह,
यह आदिकाल से जिंदी है॥
हिंदी भारत माँ…

जो देववाणी से उदभित हो,
औ जनवाणी से सुरभित हो।
जो कोटि कंठ का हार बनी,
मन-भावन ऐसी हिंदी है॥
हिंदी भारत माँ…

सजग हो जाओ सत्ताधारी,
मत समझो इसको बेचारी।
अमर रहेगी तब तक यह,
जब तक यह साँसें जिंदी हैं॥
हिंदी भारत माँ…

यह चंदरबरदाई की वाणी है,
रासौ की अमर कहानी है।
भूषण की नव महिमा है यह,
गाथाओं की मधुरिम संधि है॥
हिंदी भारत माँ…

सूर का सागर है अपरिमित,
तुलसी का पावन राम चरित।
मीरा का राग गोविंद है,
रसखान की राधा बंदी है॥
हिंदी भारत माँ…

बिहारी की बिरही नायिका,
रहीम के नीति नाटिका।
घनानंद की प्रेम कथा,
अंग्रेजी की प्रतिद्वंदी है॥
हिंदी भारत माँ…

राष्ट्रभाषा का गौरव तो,
हिंदी ने ही पाया है।
सब भाषाओं का प्यार बनी,
ऐसी जन-जन की हिंदी है॥
हिंदी भारत माँ की बिंदी है…

परिचय – सुबोध कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-सुबोध है। शेरकोट बिजनौर में १ जनवरी १९५४ में जन्मे हैं। वर्तमान और स्थाई निवास शेरकोटी गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी)है।  महाविद्यालय में बतौर अँग्रेजी प्रवक्ता आपका कार्यक्षेत्र है। आप साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत कुछ साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक हैं,साथ ही काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराते हैं। इनकी  लेखन विधा गीत एवं ग़ज़ल है। आपको काव्य प्रतिभा सम्मान व अन्य मिले हैं। श्री शर्मा के लेखन का उद्देश्य-साहित्यिक अभिरुचि है। आपके लिए प्रेरणा पुंज पूज्य पिताश्री हैं।

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