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हमारी हिंदी

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


आओ मिलाऊँ हमारी ‘हिंदी’ से,
भोली-भाली,प्यारी-प्यारी
हमारी हिंदी।
संस्कृत की लाड़ली बेटी
हमारी ‘हिंदी,
बड़ी सुगम,सरल,सहज,
और मिस्री से मीठी हमारी हिंदी।
लगती कितनी सभ्य और,
पावन हमारी हिंदी
सबको अपनाती और,
गले लगती है हमारी हिंदी।
भेद-भाव कभी नहीं,
सिखाती हमारी हिंदी
सदा मानवता का पाठ,
पढ़ाती हमारी हिंदी।
राष्ट्र का अभिमान है हमारी हिंदी,
राष्ट्र की पहचान है हमारी हिंदी।

राष्ट्रभाषा है हमारी हिंदी,
मानक भाषा है हमारी हिंदी।
‘मातृभाषा’ इसे हम हैं कहते,
लगती है वरदान हमें हमारी हिंदी।
पंत,निराला,द्विवेदी और अज्ञेय की
चली खूब कलम हमारी हिंदी पर,
साहित्य का असीम अंबुधि है
हमारी हिंदी।
सूर,कबीर,रहीम और मीरा की
वाणी है हमारी हिंदी,
गांधी जी के मन भाई हमारी हिंदी
आजादी दिलाने के बड़े काम,
आई हमारी हिंदी।
रोजगार का अम्बार है हमारी हिंदी,
हमारा गौरव है हमारी हिंदी।
हमारा वर्तमान और भविष्य है,
हमारी अनूठी हिंदी॥

परिचय–पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैl श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैl महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी.एच-डी. की शोधार्थी हैंI आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैl रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा आदिवासियों का आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंl हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंl आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!`,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैl यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस पुरस्कार दिया गया हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैl

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