दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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भारत के लोगों जरा सुनो तुम,
कान लगाकर बात।
मत की अपने, कीमत पहचानो, देखो फिर करामात।
तुच्छ स्वार्थ में ही ना तुम,
गलत कहीं ना भटक जाना,
अभी की सोच पर, कल बिसार कर, मत को यूँ ही, ना पटक आना।
आज जुगनू की चमक से फिर, ना कभी छंटेगी रात,
भारत के लोगों…॥
पाँच साल का सब हिसाब तुमको, एक मत से ही करना है,
क्विंटल, सेर और तोला-माशा,
सब भार तराजू धरना है।
न्याय का पलड़ा ना डगमगाए,
निष्पक्ष रहे जज्बात,
भारत के लोगों…॥
बाबा साहब ने सोच-समझ कर, संविधान भारत का बनाया है,
मत-मत-मत सब एक बराबर,
सबका ही मत सरमाया है।
उस संविधान की कसम तुम खा लो, सब मिल जाओ, हाथों में हाथ,
भारत के लोगों…॥
बहुत कीमती, एक मत भी तुम्हारा, कर देता उथल-पुथल,
हार को कब वह फिर जीत बदल दे, सोच ना पहुंचे फल।
उस कल को तुम आज बदल दो, भले बदल दो बिसात,
भारत के लोगों…॥
मतदान समय जो निकल गया तो, बाद तुम्हें पछताना है,
गुजरा समय आगे, लौट नहीं आता, हाथ मलते रह जाना है।
वोट तुम्हारा अनमोल है प्यारों, गहन समझ लो बात,
भारत के लोगों…॥
इक्कीसवीं सदी में विश्व परिदृश्य, जनतंत्र भारत मिसाल बना,
मत एक तुम्हारा, ही वह कण है, विशाल जनतंत्र का भवन बना।
उस जनतंत्र ही के, तुम जन हो, ‘अजस्र’ समझ लो बात,
भारत के लोगों जरा सुनो तुम,
कान लगा कर बात…।
अपने मत की कीमत पहचानो, देखो फिर करामात॥
परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|