जिंदगी

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** जीवन में आती है सुख-दु:ख की छांव, जिंदगी में बढ़ाना सोच-समझकर पांव। वैसे तो बहुत माहिर हैं जिंदगियां यहां, जिंदगियों ने बसाये हैं संघर्षों के गांव॥…

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नुमाइश नहीं है मोहब्बत

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** किसी से मोहब्बत करना, बहुत अलग बात है। मोहब्बत कर के दिल में, उतर जाना बड़ी बात है। मगर लोगों ने मोहब्बत को, एक नुमाइश बना…

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फैसला करते हैं स्वीकार

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** शांति एकता का मिला,हम सबको पैगाम। जो भी आया फैसला,घर आये प्रभु रामll हो मोहब्बत हर तरफ़,बना रहे ये प्यार। सदभावी पैगाम हो,सच्चा हो व्यवहारll ये…

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टीस

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़(हरियाणा) *********************************************************************** रिश्ते अब रिश्ते नहीं,रिसते हो गये,रिस-रिस कर देते हैं टीस, सदस्य घर में दो हों या पांच,नहीं बची अब रिश्तों में पहले जैसी आँचl दूरियाँ…

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मर जावां` रोमांटिक एक्शन ड्रामे से भरपूर

इदरीस खत्री इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************* मर जावां फिल्म में कलाकार सिद्धार्थ मल्होत्रा,रितेश देशमुख,तारा सुतारिया,रकुल प्रीत सिंह तथा रवि किशन है तो निर्देशक मिलन मिलाप झवेरी हैंl संगीत तनिष्क बागची ने दिया…

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दुर्गेश मेघवाल और डॉ.धारा वल्लभ पांडेय बने विजेता

'राष्ट्रीय एकता दिवस' स्पर्धा के परिणाम घोषित इंदौर। हिन्दीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा आयोजित स्पर्धा ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के परिणाम १६ नवम्बर को घोषित कर दिए गए हैं। इसमें अलग-अलग…

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हम भीड़ से बचते रहे

डॉ.अमर ‘पंकज’ दिल्ली ******************************************************************************* (रचनाशिल्प:२२१२ २२१२) उनसे नहीं रिश्ते रहे, चुपचाप बस घुटते रहेl दुश्वारियाँ तो थीं मगर, बिंदास हम बढ़ते रहेl बेफ़िक्र मुझको देखकर, बाजू में सब चिढ़ते रहेl…

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चंदा मामा

सुनील चौरसिया ‘सावन’ काशी(उत्तरप्रदेश) *********************************************** तारों की बरात लेकर, आ गये चन्दा मामा। दूल्हा बनकर दुनिया में छा गये चन्दा मामा॥ चन्दा मामा निकल पड़े हैं, मामी की तलाश में।…

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फिर जग में चित क्यों हारा है

गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** ये कोमल हृदय तुम्हारा है, ये प्रिय आँखें तुम्हारी हैं। इनमें नीर की धारा है, इनमें जीवन का सार सारा है। फिर जग में चित क्यों…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य से अध्याय-१५  बार-बार मस्तक पर दस्तक, दे-दे जाती उनको पत्नी द्वार खोल कर कभी झाँकते, फिर कर लेते बंद सिटकिनी। कभी सत्यता दिखती उनको,…

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