मेरी प्रेरणा

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** जीना जैसे पिता... पिता जो मेरी प्रेरणा थे,वही थे मेरे सम्बल,सहारेउसी ने तो जीना सिखाया,अब जीना, जैसे पिता हमारे। आए कोई मुसीबत सिर पर,बिना बोले जो समझ…

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पहली बारिश

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* शाम होने को आई और,सूरज भी पश्चिम की तरफ़झुकता चला जा रहा,अंधेरा होने के पहले हीअंधेरे का अहसास हो रहा। काले घनघोर बादल छाए,ऐसे बिजली कड़क…

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पूछ रहा हूँ स्वयं से…

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* मुझे याद है!जब मैंने पहली बार फूलों को देखा थातब वे बड़े कोमल, संजीदे से थे,मैं समझ गया, नया हूँ इनके लिए। मुझे याद है!जब मैं…

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मेरी कोशिश, पिता जैसा जीना

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** पिता का दौर कुछ और था,मेरी भाग-दौड़ कुछ और हैकोशिश यही है पिता जैसा जीऊँ,जियो तो वैसे, जैसे पिता का जीना।न दारू न सिगरेट, दूध…

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चमकते रहो

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** चाँद-तारों जैसा चमकते रहो,फूल कलियों-सा तुम महकते रहो। राह में लाख बाधाएं आयें मगर,मंज़िलों की तरफ़ यूँ ही बढ़ते रहो। मन का दर्पण निर्मल तुम्हारा रहे,देखकर…

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सरला देवी की आहुति वाले संकल्प ने गांधी जी को आकर्षित किया

पुस्तक चर्चा,,, इन्दौर (मप्र)। यह उपन्यास गल्प कृति के रूप में पाठकों के लिए रचा है। सरला देवी जी की बौद्धिक प्रतिभा और देश की आजादी के युद्ध में खुद…

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अथक श्रम पूर्वक हस्तलिखित पत्रिका का पुनः प्रकाशन स्वागत योग्य

लोकार्पण... पटना (बिहार)। पुराने जमाने की ऐतिहासिक हस्तलिखित और साइक्लोस्टाइल पत्रिका की परंपरा को जीवंत रखने का सार्थक प्रयास करते रहे हैं, हमेशा कुछ नया करने का जुनून रखने वाले…

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अक्ल का अजीर्ण

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* 'आदिपुरूष'.... जैसे एक मन दूध में २५० ग्राम दही डाल देने से पूरा दूध फट जाता है, खीर को यदि हींग के बर्तन में रख दिया जाए तो…

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शीतल छाँव:पिता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जीना जैसे पिता... करते दिल पर राज पिता थे,घर भर के सरताज पिता थे। थे हम सबकी खुशियाँ,संतानों का नाज़ पिता थे। भूत, भविष्य सभी कुछ…

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पिसता रहा है आम इंसान

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** मैं दिन-रात परिश्रम करता,संतुष्ट रहता जो भी मिलताअधिक खुशी की नहीं कामना,जाना है दु:ख में भी खुशी से जीना। मैं हूँ बहुत ही सीधा-सादा,छल प्रपंच…

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