वार्द्धक्य और गार्हस्थ्य-जीवन

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)******************************************************** पति-पत्नी मिलकर जो जीवन जीते हैं,वह गार्हस्थ्य-जीवन कहलाता है। जाहिर है कि इसमें उन पर निर्भर उनके बच्चे आ ही जाएंगे। उनके वे बच्चे…

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हिंदी के समर्थन में प्रचंड जनसंख्या खड़ी करने के अंतर्राष्ट्रीय लाभ क्या ?

लीना मेहेंदले********************************** हिंदी पखवाड़े में एक प्रश्न बार-बार उठता है कि,क्या हिंदी कोई मौलिक भाषा है ? कितनी प्राचीन या कितनी नूतन है ? चूँकि इससे अधिक प्राचीन भाषाएं हैं,तो…

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ये क्या हो गया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ***************************************************************** मानव का क्या हाल हो गया,मानवता को घोल पी गया।सच्चाई का हाल बुरा है,झूठा फूला ढोल हो गया॥ दुनिया का है चलन निराला,बाहर उजला अंदर काला।निर्बल…

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बदल गए…

डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************************** जब हम छोटे थे,छोटे थे हाथ हमारे,छोटा-सा था घर,छोटी-सी थी दीवारें।दिवाली पर आने वाली कूची जरूर बड़ी थी,बड़े थे सपने और उससे बड़ी-सी खुशियाँ।जब हम बड़े हो गए,घर…

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किताब बना दूंगा

मोहित जागेटियाभीलवाड़ा(राजस्थान)************************************************* वक्त के हर सवाल का मैं ख़ुद को ज़वाब बना दूंगा,कल कोई पूछे किया क्या तो मैं हिसाब बना दूंगा। मेरी पहचान ख़ुद लिखूं,मेरीकाबिलियत दुनिया बताए,कभी तो काँटों…

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‘अंतरराष्ट्रीय ‘अटल’ काव्य प्रतियोगिता’ हेतु २५ तक प्रविष्टि आमंत्रित

ऑस्ट्रेलिया। 'अंतरराष्ट्रीय 'अटल' काव्य प्रतियोगिता' हेतु २५ अक्टूबर तक 'सृजन ऑस्ट्रेलिया' ने प्रविष्टि आमंत्रित की है।चयनित २० रचनाकारों को २५ दिसम्बर को काव्यपाठ का अवसर मिलेगा।पत्रिका की मुख्य सम्पादक एवं…

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तालाबंदी का सफर

दृष्टि भानुशालीनवी मुंबई(महाराष्ट्र) **************************************************************** साल '२०२०पूरे विश्व को आजीवन याद रहेगा। बाढ़,चक्रवात,आतंकवादी हमला,तालाबंदी,जनता कर्फ्यू,कोरोना विषाणु आदि न जाने कितनी विपदाएँ सही है पूरे विश्व ने।कोविड-१९की इस महामारी के चलते देश के…

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आ भी जाओ दिलरुबा

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* महबूब मेरे जरा सुन-सुन,रुक जा रुक जा,ओ मेरे सनम।यूँ खफ़ा-खफ़ा क्यों रहती हो,जरा रुक जाओ तुम्हें मेरी कसम। दाँतों से दबा कर चुनरी को,जब…

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अखंड विश्व की परिकल्पना असंभव नहीं

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** अखंड विश्व की परिकल्पना भारतीय जनमानस के लिए नई नहीं है,सनातन संस्कृति सदा से ही वसुधैव कुटुंबकम् और विश्व बंधुत्व की भावना से ओत-प्रोत रही हैl इसने…

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भारत की बेटियाँ

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ नागपुर(महाराष्ट्र) ******************************************************* सदियों से,सम्मानित रही हैं,इस भारत देश,की बेटियां।धैर्य,शौर्य,गुणों की खान रही,इस भारत देश,की बेटियाँ॥ इतिहास भरा,पड़ा है हमारा,बेटियों के कारनामों,से भरपूर।चली हैं काँधे से,काँधा मिलाकर,पुरूषों…

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