अपराध-बोध

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ********************************************************** “सुनो जी,ये जो छत के कोने में जो ततैयों ने अपना घर बना लिया है,उसको हटा देना चाहिए न ?”हाँ,बिलकुलlपर क्या पाप नहीं लगेगा ? “कैसा पाप ?अरे घर तो हमारा है। ततैयों ने तो ज़बरदस्ती अतिक्रमण कर रखा है।”“तो,तो हम उनके घर को संडे को हटा देते हैं।”“ठीक हैl”और … Read more

चालाकियाँ इंसान की

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ************************************************************* हम समझ पाते नहीं चालाकियाँ इंसान की,हो गयी बंजर जमीं अब दोस्तों ईमान की। लाख सिक्के ले के आओ मामला गंभीर है,इस तरह कुछ डॉक्टर कीमत लगाते जान की। अनसुनी करते हैं बातें जो अगर निर्धन कहे,गौर से सुनते मगर सब लोग क्यों धनवान की। देखकर भूखा उसे मुझको तजुर्बा … Read more

अवसरवाद पर घातक प्रहार का अचूक आयुध आका बदल रहे हैं

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय *************************************************************** वैश्विक संस्कृतियों के घालमेल ने उपभोक्तावाद के चंगुल में मानवतावाद को तड़पने के लिए सौंप दिया है। अवसरवाद को कौशल के रूप में परिभाषित किया जाने लगा है। मानव और पशुओं में फर्क मात्र शारीरिक संरचना में रह गया है। ऐसे में लेखनी द्वारा विद्रोह होना स्वाभाविक और आवश्यक भी … Read more

हिंदी विवि के कुलपति ने की मुख्‍यमंत्री योगी से वार्ता

वर्धा(महाराष्ट्र)l महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय,वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल की उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी से विश्वविद्यालय की अकादमिक गतिविधियों,संचालित पाठ्यक्रमों तथा केन्द्रों के विकास के संदर्भ में मुख्यमंत्री आवास पर वार्ता हुई। सोमवार ७ सितम्बर को इस वार्ता में कुलपति ने वैश्विक स्तर पर हिंदी के संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार हेतु विश्‍वविद्यालय द्वारा … Read more

खो रहे स्व विवेक

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) ************************************************************ हमारे आदर्शजनों से गौरवान्वित था भारत वर्षपर आजकल के इस दौर में,बुरा हुआ है हश्र,बुरा हुआ है हश्र,आदर्श नहीं ढूंढते अब ये नैनहमने जिनको आदर्श कहा,लोग कहते ‘फैन।’आधुनिक इस युग में की हुई आदर्शों की तिलाज॔ली,कह संजय देवेश,अब रक्षा करें बजरंगबली॥ पिताजी अब डैड हुए,माताजी हुईं हैं माॅमबहन डी,भाई ब्रो हुए,वाह … Read more

‘कोरोना’ से वार्तालाप

आशा आजादकोरबा (छत्तीसगढ़) ****************************************************** वर्तमान में ये कौन घुस आया,बिना मेरे अनुमति केघर का ताला तोड़,आकर कहर बरपाया।उसने कहा,-घुसने की अनुमतितुझसे क्या लेना ‘आशा’,मैं तो स्थापित भारतवासियोंके साथ शान से,महामारी को भारत केअंदर ले आया,कोविड उन्नीस का नाममुझे है भायाकोरोना का नामविश्व में लिखवाया।मैं चीन की नई खोज हूँ,बीमारी संक्रमित हैजो स्पर्श मात्र से,तन को … Read more

धर्म-कर्म सब नेक हो

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************************** धर्म-कर्म सब नेक हो,रचो एक इतिहास।राह कठिन गर हो भले,होवे सतत् प्रयास॥ दीन-हीन मानव सभी,होते हैं लाचार।करके सेवा धर्म से,करो सभी उपकार॥ धर्म-कर्म करते चलो,दीन-हीन उपकार।झूठ-कपट बाजार में,मत बिकना हर बार॥ अपनी संस्कृति राखिये,छोड़ विदेशी राग।अपना धर्म बचाइये,हे मानव अब जाग॥ राम जन्म का वो समय,अवतारी बन आय।ध्वजा पताका धर्म … Read more

सत्कर्मों से जग सफल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************** सत्कर्मों से जग सफल,साहस धीर विनीत।अलस तजे पथ उद्यमी,मिले सुयश मधुप्रीतll स्वार्थ चित्त मद मोह जग,भूले सत् आचार।कामी खल अवसाद बन,आतुर निज संहारll प्रमुदित नित परहित मना,मानो प्रभु वरदान।पलभर जीवन हो वतन,सुख परमुख मुस्कानll दुर्जन हर्षित कलह में,निद्रा व्यसनी काम।छल-बल हिंसा क्रूरता,अविरत जग बदनामll सुरभि मधुर अन्तस्थली,परमारथ सत्काम।खुशियाँ हों … Read more

नारी और न्याय

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ नागपुर(महाराष्ट्र) ******************************************************* नारी तेरे रूप,हैं अनेक,माँ,बहन,बेटी,बहू है कहलातीlसभी का सेवाभाव,से मन लुभाती,इस धरा को,संपूर्णता प्रदान करतीll आज बेबस,विकल और मजबूर,नारी मांगती न्याय,समाज के ठेकेदारों से।जिसने जलाया,आत्महत्या करने किया,विवश उस क्रूर,निर्दयी परिवार सेll आज भी,जूती समझी जाती,दासी कहलायी,जाती है नारी।पुरुष प्रधान,समाज में बेटा,बेटी में अंतर,करती खुद नारीll कुंवारी माँ,उसे किसने बनाया!नारी तवायफ़,कैसे … Read more

जनक का करो सम्मान

आरती जैनडूंगरपुर (राजस्थान)********************************************* श्राद्ध में जो कौवा,मन भर खाता है खीर…जिंदा वृद्ध माँ-बाप,की नहीं दिखती पीरlमाँ-बाप की मृत्यु,पर भले ना जलाओ दीपक…पर जिंदा माँ-बाप,को मत कहो दीमकlदर्द होता है जब तुम्हारे,जनक मीठे़ बोल को तरसते हैं…जननी और जनक पर,तेरे घृणा भरे बोल बरसते हैंlहमारी संस्कृति के हर पक्ष,का हृदय से करती हूँ मान…क्या वृद्ध के … Read more