‘पराधीनता’ अभिशाप,तो ‘स्वाधीनता’ वरदान
गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)******************************************************************* स्वतंत्रता दिवस विशेष …….. ‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं’-इस उक्ति का अर्थ होता है कि पराधीन व्यक्ति कभी भी सुख को अनुभव नहीं कर सकता है। सुख पराधीन और परावलंबी लोगों के लिए नहीं बना है। पराधीनता एक तरह का अभिशाप होता है। मनुष्य तो बहुत दूर,पशु-पक्षी भी पराधीनता में छटपटाने लगते … Read more