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विश्व कल्याण

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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मिलाओ नजरें तो इसारे छोड़ दूँ,
मिले हौंसला गर तो उमंगें भर दूँ
दिखाया रास्ता तो मंजिल जोड़ दूँ,
तुम अगर साथ दो तो तारे तोड़ दूँ।

यह ‘कोरोना’ का रोना है क्या चीज,
गर हम हों साथ तो इस दुनिया में
चीनियों में प्यार और पाक में यार,
अब ऐसा भाव कूट-कूट के भर दूँ।

चीनियों में प्यार व पाक में यार,
है कठिन पर असंभव तो नहीं
भाव स्वप्न की बात करता हूँ मैं,
पर कहने से भी अब डरता हूँ मैं।

हम सब करने को हैं यह सक्षम,
बात आती है हमारे समक्ष प्रथम
ऊँच-नीच जाति-पांति में बंटे हम,
वरना नहीं हम किसी देश से कम।

गर हो यहाँ जन-जन में प्रेम संगम,
द्वेष छोड़ विचारों में अपना मिलन
फिर चीन-पाक की बोलूं बात क्या,
नजरें मिला ले उसकी औकात क्या।

प्रेम सुधा देश-देश में देंगे हम बांट,
विश्व को पढ़ाते आए शान्ति पाठ
गर कोई दिखाता हमें नजरें सात,
अवश्य खड़ी कर देंगे उसकी खाट।

एकता हेतु सोचा आज ध्यान लगा लूँ,
संचित ज्ञान की बूँदें निकाल बता दूँ
कहता ज्ञान ‘राजू’ का,सुनिए ध्यान से,
छोड़ अहम जाति-धर्म व धन वैभव का।

मानव को मानव समझ,कर प्यार तू,
मन में भाव लिए देशभक्ति परोपकार तू।
फिर हो जाएंगे यहाँ सब इंसान महान,
कर पाएंगे विश्व कल्याण,विश्व कल्याण॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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