कोई भारतीय शब्द ढूंढिए जो सर्वत्र स्वीकार्य हो
मुद्दा-वेबिनार बनाम अपने शब्द डॉ. महावीर(नई दिल्ली)- ई-संगोष्ठी का विचार सर्वथा उचित और व्यावहारिक है;छोटी-अल्पकालीन बैठकों के लिए ई-बैठक का उपयोग भी किया जा सकता हैl यद्यपि,लगता है वेबिनार शब्द…
मुद्दा-वेबिनार बनाम अपने शब्द डॉ. महावीर(नई दिल्ली)- ई-संगोष्ठी का विचार सर्वथा उचित और व्यावहारिक है;छोटी-अल्पकालीन बैठकों के लिए ई-बैठक का उपयोग भी किया जा सकता हैl यद्यपि,लगता है वेबिनार शब्द…
बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष दिव्य छंद तुलसी रचे,भारत हुआ कृतज्ञ।मैं,उनके सम्मान में,दोहे लिखता अज्ञ॥ हुलसी तुलसी गंध सी,सेवित तुलसीदास।भाव आतमा राम से,मानस किया उजास॥…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************************************** महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष सावन शुक्ला सप्तमी,तिथी अमोलक जान।जन्म लिया इस भूमि पर,तुलसी कवी सुजान॥ सुत थे आत्माराम के,हुलसी जिनकी मात।ब्रह्म तेज…
गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)************************************************************ महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष 'रामबोला,तुलसीराम फिर तुलसीदास। जन्मलग्न से भाग्य का निष्ठुर परिहास!' पितृस्नेह से वंचित अवहेलित बालक,बारह माह तक माता हुलसी…
प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) *********************************************************************** छन्न पकैया छन्न पकैया,माँझी नाव चलाये।आने-जाने वाले सबको,नदिया पार करायेll छन्न पकैया छन्न पकैया,नैय्या डगमग डोले।बैठे हैं सब सहमे-सहमे,खेवें हौले-हौलेll छन्न पकैया छन्न पकैया,चलती…
राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’बहादुरगढ़(हरियाणा)*********************************************************************** आओ पढ़ें,मध्यम वर्ग का ये अजब पहाड़ा,सँघर्ष है जिसकी नियति,न कभी जीता-न हारा।अमीर-गरीब के बीच पिस रहा मैं ही कर्णधार हूँ,हर 'कर' की अदायगी की मैं ही…
संदीप ‘सरस’सीतापुर(उत्तरप्रदेश)******************************************************************* महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष तुलसीे ने राम का चरित्र जिया जीवन में,भक्ति की उदात्त भावनाओं को उभारा था।दोहावली गीतावली रामलला नहछू,विनय पत्रिका को लिख…
गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)******************************************************************* टूटने को है संवेदनाओं का बाँध,इसे मत रोको,ढह जाने दोIसंचित सभी व्यथाओं को,चिंताओं और कुंठाओं कोटूटी सभी आशाओं को,पीड़ा के प्रवाहों को,उन्मुक्त हो,अब बह जाने दोIनिरन्तर…
संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** खेल खेलो ऐसा कि,किसी को समझ न आएलुट जाए सब-कुछ,कोई समझ न पाए।कर्ता-धर्ता कोई और है,पर दाग और पर लग जाएऔर मक्कारों का रास्ता,आगे साफ हो जाएll…
डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’ मुम्बई(महाराष्ट्र)*************************************************************** मुद्दा-वेबिनार बनाम अपने शब्द कोरोनाकाल में तेजी से उभर कर आए ऐसे माध्यम जहाँ बिना मिले, संवाद,बैठक,संगोष्ठी,कार्यशाला,कक्षा, शिक्षण-प्रशिक्षण,प्रस्तुति व चर्चा आदि हो सकें,उनके लिए अंग्रेजी…