आओ साजन गुलज़ार करो मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************************************** आओ साजन गुलज़ार करो मन,आया सावन दिलदार करो तन।मन्दाचल बह लाओ बहार तुम-बन गन्धमाद पुष्पित पराग कण॥ बिम्बाधर मधुरिम नित शुष्क वदन,भागीरथ पावन प्रिय अवगाहन।नित बहे अश्क आँखों का काजल-पुष्पचयन प्रिय स्वागत मधुश्रावण॥ देख मुदित जलज वर्षा ऋतु सावन,बरसी रिमझिम चिढ़ाती चितवन।आँख मिचौनी वर्षा घन मधुरिम-लखि तरस रही आलिंगन … Read more

नियति…

लीना खेरियाअहमदाबाद(गुजरात)******************************************* एक-एक कर के,चटकती रहीमन के भीतर की सभी,चरमराती ज़र्जरदीवारें। रिसते रहे,बड़ी ख़ामोशी सेधीरे-धीरे सभी एहसास,कभी दर्द में सने आँसू बन करतो कभी आक्रोश बनकर,चुप की चादर ओढ़ेसीने में फाँस-सी चुभन लिए,कतरा-कतरारक्त की बूँद सम,बरसते रहे। सिसकते रहे,संग मेरेसारे सपने भी,अपूर्णता की पीड़ा लिएटूट कर बिखर जाने का,असह्य दर्द लिएआँखों की किरकिरी बन,बहते रहे। … Read more

स्पर्धा में डॉ. एन.के. सेठी-जे.पी.मिश्र को प्रथम व गीतांजली वार्ष्णेय-डॉ. पूर्णिमा मंडलोई को द्वितीय स्थान

इंदौर। हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा कराई गई स्पर्धा ‘भारत और चीन के रिश्ते’ के परिणाम १८ जुलाई को जारी कर दिए गए हैं। इसमें पद्य वर्ग में डॉ. एन.के. सेठी (राजस्थान)को प्रथम व गीतांजली वार्ष्णेय (उप्र) को द्वितीय विजेता बनने का अवसर मिला है। ऐसे ही गद्य में पहला स्थान योगेन्द्र प्रसाद मिश्र(बिहार)तथा दूसरा … Read more

जंग लगे टुकड़े

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) ******************************************************************** जंग लगे टुकड़े हकीकत,कभी सही बयां नहीं करते,क्या हो गया यह बताएंगे,कैसे हुआ यह नहीं कहते…ये हारे हुए हैं जंग खुद से,जुबान पर लगाई है लगाम,जिसने कर दिए हालात,शख्स का नाम नहीं लेते। मजबूरी-लाचारगी से सुलग रहे हैं,स्याह धुँए की तरह,तपिश ने किया है राख,आग को कुछ भी नहीं कहते…पानी की … Read more

सूर्यास्त को देखा करें

मच्छिंद्र भिसेसातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************** चल पड़े मंजिल पथ पर,खुद को इतना मजबूत करेंचाहे छूटे अपनों के हाथ,चाहे सुननी पड़े कर्णकटु बातखुद कभी न टूटा करें,हमेशा सूर्यास्त को देखा करें। सूरज दिखे,प्रभाती में पंछी चहके,बगियन में फूल भी महकेघर-आँगन भी सजते-गाते,दिनकर के भी रंग हैं भातेपर शाम होते ही सभी पीठ दिखाते,यह दुनिया-दस्तूर समझा करेंहमेशा सूर्यास्त को … Read more

माँ ही ईश्वर

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ********************************************************************** तू ही जननी तू ही पालक,तुमको शीश नवाऊँ मैंतेरी चरण-शरण पाकर के,जीवन के सुख पाऊँ मैंl तेरा हाथ सदा सिर पर हो,अभयदान पा जाऊँ मैंतेरी सेवा में रत रह कर,शत् आशीषें पाऊँ मैं। माँस पिण्ड था सिर्फ एक,तुमने ही तो आकार दियामुझको दुनिया में लाई औ,एक नया संसार दिया। लालन-पालन करने … Read more

हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में वेबिनार की क्या दरकार ? अपना शब्द क्यों न अपनाएँ

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’ मुम्बई(महाराष्ट्र)*************************************************************** कोरोना के संक्रमण काल में अचानक अनेक इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों द्वारा संगोष्ठियों का आयोजन किया जाने लगा है और अंग्रेजी की तर्ज पर इन संगोष्ठियों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी वेबिनार कहा जाने लगा है। अगर अभी नहीं जागे,तो वेबिनार हमारे संगोष्ठी शब्द को भी ले बैठेगा। इसलिए … Read more

सावन तू कैसा आया

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* ओ रे सावन तू कैसा आया,देख तुझे क्या मन भरमायाहृदय-हृदय में जगा उत्साह,झूले कजरी का दिन है आया। ओ रे सावन तू कैसा आया,नहीं सज रही गोरी बालानैन बिछाए राह है देखे,प्रिय आए या मन भरमाया। ओ रे सावन तू कैसा आया,मोर-मोरनी,दादूर है बोलेहरियाली हर दिशा हँसती,किसलय पर मोती की … Read more

आजादी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)***************************************************************** महाविद्यालय में जोर-शोर से स्वंतत्रता दिवस की तैयारी चल रही थी। हरे रंग के कालीन बिछा जा रहे थे। पूरे परिसर को सुंदर रंग-बिरंगी झंडियों से सजाया जा रहा था।सभी प्राध्यापक सफेद पोशाकों में नजर आ रहे थे,तो कुछ महिला प्राध्यापक हरे केशरिया रंग में भी सुशोभित हो रही थीं। तभी … Read more

संगठन की शक्ति

दीपेश पालीवाल ‘गूगल’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************** प्राचीन समय की बात हैl एक जंगल में शेर-शेरनी रहते थे,उनके २ छोटे-छोटे बच्चे थे। यह चारों बड़े ही प्रेम से अपना जीवन जंगल के अन्य जानवरों के संग हँसी-खुशी व्यतीत कर रहे थे। जंगल में खुशहाली का माहौल था। सभी जानवर बड़े ही मज़े से रह रहे थे।कुछ … Read more