वट-सावित्री की वेदी पर

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र) पटना (बिहार) ****************************************************************************** मेरे गाँव का यह बरगद पेड़,मुझसे बहुत बड़ा है। मैं अब तेरासी ग्रीष्म को पार करनेवाला ही हूँ। खैर,बात बरगद पेड़ की उठी थी तो जब मैं बच्चा था,वट-सावित्री व्रत-पूजा के दिन मैं भी अपनी माँ के साथ इस पेड़ के पास जाता था और माँ की … Read more

हाँ,मैं लौट जाना चाहती हूँ

कविता जयेश पनोत ठाणे(महाराष्ट्र) ********************************************************** लौट जाना चाहती हूँ कहीं दूर उस नीले आकाश तले, जिसकी छाया तले मैं अपने भावों को ऊपर उठता देख सकूँ। लौट जाना चाहती हूँ धरा की उन गहराइयों में, जहाँ में अपने मन की गहराइयों में डूब सकूँ। लौट जाना चाहती हूँ दूर कहीं, समुन्दर में उठती उन मौजों … Read more

तेरे शहर की हवा

श्रीकांत मनोहरलाल जोशी ‘घुंघरू’ मुम्बई (महाराष्ट्र) ************************************************************************* तेरे शहर की हवा भी गरम लगती है, तुझे देखने के बाद हर चीज भरम लगती हैl टूट जाने दे फिर आज इस शीशे को, जब भी देखती हूँ कुछ तो कमी लगती हैl कितने बेताब हैं लोग यहाँ तुझे देखने को, तेरी गली में मेलों की तरह भीड़ … Read more

गाँव जा रहा गाँव

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** रेल की पटरी पर चलते नंगे पाँव, देखो आज शहर से गाँव जा रहा है गाँव पसीने में लथपथ धूल भरी रोटी, भूख बड़ी गठरी पड़ी छोटी चिलचिलाती धूप में चलते, चाह कर भी आराम ना करते खोजता फिरे इंसानियत की छाँव, देखो आज शहर से गाँव जा रहा है … Read more

परदा

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* घूँघट परदा गुप्तता,अरु आवरण छिपाव। आड़ परत या ओट है,एकहि सबका भाव॥ मुख पर परदा डालकर,नयन नही हो लाज। ऐसा परदा व्यर्थ है,चाहे हो सरताज॥ परदे सभी हटाइए,होय न लाज विहीन। सदा सत्य ही राखिए,चित्त न करें मलीन॥ सच का परदा राखिए,सत्य झूठ के बीच। होता सच विजयी सदा,झूठ सदा … Read more

समय

मनोरमा चन्द्रा रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************** समय बड़ा बलवान है, मत करना अभिमान। समय साथ जो जाग ले, वही श्रेष्ठ इंसानll राजा रंक फकीर सब, पल का रखते ध्यान। समय बहुत बहुमूल्य है, पारस रत्न समानll समय-समय का फ़ेर है, सभी दिखाते रंग। क्षण भर में बदले मनुज, बदले जीवन ढंगll हर पल चिंता मनुज कर, खोजे … Read more

महात्मा गांधी साहित्य मंच ने कराया ऑनलाइन हिंदी कवि सम्मेलन

गाँधी नगर(गुजरात)l महात्मा गांधी साहित्य मंच(गांधी नगर) ने १७ मई को ऑनलाइन हिंदी कवि सम्मेलन आयोजित कियाl इसमें भारत वर्ष के सभी कई साहित्यकार-कवियों ने हिस्सा लिया और अपनी कविताएं प्रस्तुत कीl इस कार्यक्रम का उद्घाटन विजय पंडित (क्रांतिधरा साहित्य अकादमी)ने कियाl मंच के अध्यक्ष डॉ. गुलाब चंद पटेल ने बताया कि,श्री पंडित ने तलबन्दी … Read more

अश्क़ बहते रहे रातभर…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** अश्क़ बहते रहे रातभर याद है, इश्क़ में दर्द का वो सफर याद है। जिस जगह पर मुझे छोड़कर तुम गये, आज भी वो क़सम से डगर याद है। राह तकता रहा इक झलक के लिए, और जलती रही दोपहर याद है। मैं तुझे देर तक देखता ही रहा, … Read more

सुबह का भूला

पवन प्रजापति ‘पथिक’ पाली(राजस्थान) ************************************************************************************** शहर से सोहन को शुरू से लगाव रहा है,शहर से आने वाले लड़के जब उसके सम्मुख शहरी चकाचौंध का वर्णन करते तो सोहन अपनी कल्पना में शहर का चित्र खींचने लग जाता। उनको जब नए एवं चमकदार वस्त्र पहने देखता तो स्वयं को उनके सामने बहुत निम्न श्रेणी का महसूस … Read more

ममता की तरुछाँव है माँ

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** जीवन की अभिप्राण है माता, ममता की तरुछाँव है माँ। शिशु की तो वरदान है माता, सभी गुणों की खान है माँ॥ माँ जग की वह ज्योति निराली, जीवन जगमग करती है। माँ की चरण कमल रज सिर रख, नैया पार लगाती है। गले लगाकर प्यार करे नित, हाथ शीश … Read more